अभी इतना है तो फिर कितना होगा?


मेरी पिछली पोस्ट पर मास्टर चिट्ठाकार शास्त्री जी ने कमेंट के जरिये अपने स्वप्न की इबारत लिखी है उनका स्वप्न है: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं, 2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!


मुझे खुशी भी हुई और डर भी लगा. खुशी स्वाभाविक थी. हिंदी को लेकर ऐसा सपना शायद हर हिंदी ब्लॉगिया देखता होगा. अपने डरावने सपने के बीच मैं भी देखता हूं. डर इसलिए लग रहा है कि जब हजार लोगों के बीच ऐसी जूतमपैजार मची है तो संख्या एक करोड पहुंचने पर क्या हाल होगा. कितने नैपकिनों पर लोग नाक सिकोडेंगे. कितनी भडासों पर मां भवानी रुष्ट होंगी. किन चंडूखानों में कौन से चपडगंजू क्या चालाकियां करेंगे. और मोहल्लों के कितने घरों में एक दूसरे का आना जाना बंद होगा. खैर कल हिंदी दिवस है. हिंदी के लिए स्वप्न मैं डूबने उतरने तक के लिए विदा. आप लोगों को ढेरों शुभकामनाएं कि बची हुई है हमारी भाषा अब तक तमाम हमलों के बावजूद.