भोपाल में आ रहा हूं

चला जाउंगा. आज की रात में चला जाउंगा फिर सफर पर. कुछ अलग सा है यह और सफरों से. अब तक घर से निकलता था सफर पर अबकी घर की ओर जाएगी ट्रेन. 10 फरवरी से शुरू होकर 15 फरवरी तक यादों की गलियों में सपनों का पोल बजाउंगा. भतीजे की शादी के बाद भोपाल में होंगे कुछ दोस्त कुछ अहबाब जिनसे होंगी अपनी सी बातें, मीठी मीठी खटृटी खट्टी.. ब्लॉगिंग, पढाई, पत्रकारिता, शहर, गांव के होंगे शब्द जिनमें बातें होंगी मंगलवारा की, शेखपुरा वाली गली की, साकेत की, पठार और गऊशाला की. वर्धमान कॉलेज से माखनलाल तक बहेगी अबकी धार.. अजल अमर होंगे..
राजू भाई मैं आता हूं, दयाशंकर जी मैं गाता हूं, शिव गौर साहब आ रयो हौ. सुनील गुप्ता जी आप तैयार हैं न बतरस में भींगने को.. नूतन जी कभी तो हो जाइये बच्चे.. छोडिये ये बवाल.. चलिए आकर होगी बात...