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मैंने सीख लिया, आप सीखे कि नहीं
वो चांद को नहला रहा था जिसमें नदी डूब गई
कागज पर लिख्खा एक नाम
मौत के पहलू में गुनगुनाई गई एक लय
सुबह तक चांद से बातें करते हुए
मैं अभी यहीं हूं कहीं नहीं जाउंगा आखिरी चीख के पहले