सचिन श्रीवास्तव
हाल में ही भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की निजी जानकारी एक सोशल साइट पर लीक हो गई। यह जानकारी आधार कार्ड के जरिये लीक हुई। इस पर सोशल मीडिया में हंगामा मचा, तो संसद भी इससे नहीं बच सकी। संसद में अरुण जेटली और पी चिदंबरम के बीच तीखी बहस हुई। यूं तो जानकारी लीक करने वाली आधार कार्ड एजेंसी को 10 साल के लिए बैन कर दिया गया है। लेकिन सवाल अपनी जगह कायम है। क्या आधार कार्ड की वजह से देश के करोड़ों लोगों की निजता खतरे में है? आधार कार्ड का पूरा डाटाबेस कभी भी कोई भी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है? या किसी दूसरे प्लेटफार्म पर यह जानकारी साझा की जा सकती है? आधार नंबर नागरिकों की पहचान का अचूक तरीका हो सकता है, और ऐसा होना भी चाहिए। लेकिन कई अन्य पहचान पत्र, निजी कामकाज और सार्वजनिक जीवन की जानकारियां इससे जुडऩे से मामला पेचीदा हो गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इसे सरल बनाने के लिए सरकारी पहल होगी।
1390 शिकायत दर्ज हो चुकी हैं अब तक आधार कार्ड बनाने वाले एजेंटों के खिलाफ
556 आधार पंजीकरण केंद्र और 125 रजिस्ट्रार कर रहे हैं आधार बनाने का काम
29 सिंतबर, 2010 को जारी किया था यूआईडीएआई ने पहला आधार कार्ड नंबर
31 मार्च 2017 तक 1 करोड़ 13 लाख भारतीयों का आधार पंजीकरण हो चुका है
निजता पर सुप्रीम कोर्ट है सख्त
आधार कार्ड के जरिये निजता पर हमले की आशंका के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि यह कैसे किसी व्यक्ति की निजता पर हमला नहीं है? इस पर सरकार कोई ठोस जवाबी तर्क नहीं दे सकी है। जाहिर है यह मामला पेचीदा है। सरकार आधार कार्ड से योजनाओं, नियमों, छूटों आदि का दोहरा और फर्जी लाभ लेने वालों पर अंकुश लगाना चाहती है, लेकिन इसके खतरे भी कई हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी सरकारी योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाने के सरकार के मंसूबे को खारिज कर दिया है।
बढ़ता जाएगा धीरे-धीरे खतरा
आधार कार्ड बनना पूरी सरकारी योजना का महज पहला हिस्सा है। इसके बाद आधार से रेलवे यात्रा, वोटर आईडी, पैन कार्ड, बैंक अकाउंंट, मोबाइल नंबर और पीडीएस, अन्य सरकारी योजनाओं आदि की जानकारी जोड़ी जाएगी। यह सारी जानकारी एक ही कार्ड से मिल जाएगी। ऐसे में खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। दिक्कत यह भी है कि देश के विभिन्न सूदूर ग्रामीण इलाकों में यह जानकारी इकट्ठा की जाएगी। इन ग्रामीण इलाकों के कंप्यूटर में घुसपैठ करना हैकर्स के लिए बहुत मुश्किल नहीं होगा। साथ ही खुद एजेंटों और सेंटर संचालकों के पास, जो खुद सरकारी कर्मचारी भी नहीं हैं, के पास महत्वूपर्ण गोपनीय जानकारी होना सवालिया निशान खड़ा करता है।
जानकारी का इस्तेमाल किसलिए?
आधार का पूरा काम होने पर किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी जुटाना बेहद आसान हो जाएगा। वह कब कहां गया, किससे फोन पर या ईमेल के जरिये बातचीत की, कहां क्या खाया, किसे कितने पैसे दिए जैसी बहुत सी जानकारियां आधार के जरिये आसानी से हासिल हो सकेंगी।
दिक्कत: सवाल यह है कि यह नागरिकों की निगरानी के लिए होगा या फिर उनकी सुरक्षा के लिए?
निजता उल्लंघन का नहीं है कानून
2011 में महज एक आदेश पर यह योजना शुरू की गई। उस वक्त कोई विधिक या संवैधानिक प्रावधान भी नहीं किए गए। बाद में जो प्रावधान किए गए, उन्हें विशेषज्ञ आधा-अधूरा बताते हैं। इनमें आंकड़ों के दुरुपयोग और निजता पर निर्देश नहीं हैं।
आधार का पक्ष: आम लोगों की निजता के उल्लंघन को लेकर कोई कानून नहीं है। इस तरह से आधार योजना में निजता उल्लंघन का कोई मामला नही बनता।
दिक्कत: आधार योजना कानूनी रूप से खाली क्षेत्र में काम कर रही है। इससे जुड़ी जानकारी कौन और किन परिस्थितियों में मांग सकता है। ऐसे सवालों को लेकर साफ नियम या दिशा-निर्देश नहीं हैं।
जानकारी लीक पर 3 साल की सजा और मुआवजा
आधार की जानकारी लीक होने पर आधार एक्ट 2016 के अनुसार तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। मामले में दोषी को क्षतिपूर्ति भुगतान को भी कहा जा सकता है। ऐसे में आधार की जानकारी लीक करने वाली कंपनी या पक्ष को पीडि़त पक्ष (जिनकी जानकारी लीक हुई) को मुआवजा देना होगा।
निजता नहीं है मूल अधिकार
संवैधानिक रूप से यह सच है कि भारतीय नागरिकों की निजता मूल अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान भी सरकार ने यही तर्क दिया था।
आधार का पक्ष: जानकारी सुरक्षित है और यह केवल सरकार और संबंधित व्यक्ति के पास है।
दिक्कत: इन दिनों आधार से संबंधित जानकारी लीक होने के मामले सामने आ रहे हैं। यह सरकारी दावे पर सवाल खड़े करते हैं।
सरकार की ओर से दी गई चेतावनी
देश में आधार कार्ड बनाने वाली कई एजेंसियां गैर-कानूनी रूप से काम कर रही हैं। आधार कार्ड की जानकारी लीक होने की शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने चेतावनी भी जारी की थी। सरकार ने कहा था कि अगर आप 50 से 200 रुपए देकर प्लास्टिक कार्ड बनवा रहे हैं, तो सावधान हो जाएं।
सरकार ने माना जानकारी हुई है लीक
महेंद्र सिंह धोनी के मामले के बाद केंद्र सरकार ने माना कि आधार से जुड़ी निजी पहचान, आधार नंबर, बैंक खाता और अन्य संवेदनशील जानकारियां लीक हुई हैं। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक पत्र में इस बात की पुष्टि हुई है। इसमें कहा गया कि आधार की जानकारी ऑनलाइन लीक हुई है। इससे सरकार के उस दावे पर भी सवाल उठे हैं, जिसमें सरकार कहती रही है कि आधार की जानकारी पूरी तरह सुरक्षित और कड़े सुरक्षा मापदंड में है।
धोनी मामला: राज्यसभा में आमने-सामने
-सरकार के पास क्या गारंटी है कि उनके पास हैकिंग को रोकने के लिए तकनीक है?
पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय मंत्री
यह एक अपरिपक्व व्यवहार का मामला था और कंपनी को 10 साल तक के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।
अरुण जेटली, केंद्रीय वित्त मंत्री
हाल में ही भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की निजी जानकारी एक सोशल साइट पर लीक हो गई। यह जानकारी आधार कार्ड के जरिये लीक हुई। इस पर सोशल मीडिया में हंगामा मचा, तो संसद भी इससे नहीं बच सकी। संसद में अरुण जेटली और पी चिदंबरम के बीच तीखी बहस हुई। यूं तो जानकारी लीक करने वाली आधार कार्ड एजेंसी को 10 साल के लिए बैन कर दिया गया है। लेकिन सवाल अपनी जगह कायम है। क्या आधार कार्ड की वजह से देश के करोड़ों लोगों की निजता खतरे में है? आधार कार्ड का पूरा डाटाबेस कभी भी कोई भी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है? या किसी दूसरे प्लेटफार्म पर यह जानकारी साझा की जा सकती है? आधार नंबर नागरिकों की पहचान का अचूक तरीका हो सकता है, और ऐसा होना भी चाहिए। लेकिन कई अन्य पहचान पत्र, निजी कामकाज और सार्वजनिक जीवन की जानकारियां इससे जुडऩे से मामला पेचीदा हो गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इसे सरल बनाने के लिए सरकारी पहल होगी।
1390 शिकायत दर्ज हो चुकी हैं अब तक आधार कार्ड बनाने वाले एजेंटों के खिलाफ
556 आधार पंजीकरण केंद्र और 125 रजिस्ट्रार कर रहे हैं आधार बनाने का काम
29 सिंतबर, 2010 को जारी किया था यूआईडीएआई ने पहला आधार कार्ड नंबर
31 मार्च 2017 तक 1 करोड़ 13 लाख भारतीयों का आधार पंजीकरण हो चुका है
निजता पर सुप्रीम कोर्ट है सख्त
आधार कार्ड के जरिये निजता पर हमले की आशंका के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि यह कैसे किसी व्यक्ति की निजता पर हमला नहीं है? इस पर सरकार कोई ठोस जवाबी तर्क नहीं दे सकी है। जाहिर है यह मामला पेचीदा है। सरकार आधार कार्ड से योजनाओं, नियमों, छूटों आदि का दोहरा और फर्जी लाभ लेने वालों पर अंकुश लगाना चाहती है, लेकिन इसके खतरे भी कई हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी सरकारी योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाने के सरकार के मंसूबे को खारिज कर दिया है।
बढ़ता जाएगा धीरे-धीरे खतरा
आधार कार्ड बनना पूरी सरकारी योजना का महज पहला हिस्सा है। इसके बाद आधार से रेलवे यात्रा, वोटर आईडी, पैन कार्ड, बैंक अकाउंंट, मोबाइल नंबर और पीडीएस, अन्य सरकारी योजनाओं आदि की जानकारी जोड़ी जाएगी। यह सारी जानकारी एक ही कार्ड से मिल जाएगी। ऐसे में खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। दिक्कत यह भी है कि देश के विभिन्न सूदूर ग्रामीण इलाकों में यह जानकारी इकट्ठा की जाएगी। इन ग्रामीण इलाकों के कंप्यूटर में घुसपैठ करना हैकर्स के लिए बहुत मुश्किल नहीं होगा। साथ ही खुद एजेंटों और सेंटर संचालकों के पास, जो खुद सरकारी कर्मचारी भी नहीं हैं, के पास महत्वूपर्ण गोपनीय जानकारी होना सवालिया निशान खड़ा करता है।
जानकारी का इस्तेमाल किसलिए?
आधार का पूरा काम होने पर किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी जुटाना बेहद आसान हो जाएगा। वह कब कहां गया, किससे फोन पर या ईमेल के जरिये बातचीत की, कहां क्या खाया, किसे कितने पैसे दिए जैसी बहुत सी जानकारियां आधार के जरिये आसानी से हासिल हो सकेंगी।
दिक्कत: सवाल यह है कि यह नागरिकों की निगरानी के लिए होगा या फिर उनकी सुरक्षा के लिए?
निजता उल्लंघन का नहीं है कानून
2011 में महज एक आदेश पर यह योजना शुरू की गई। उस वक्त कोई विधिक या संवैधानिक प्रावधान भी नहीं किए गए। बाद में जो प्रावधान किए गए, उन्हें विशेषज्ञ आधा-अधूरा बताते हैं। इनमें आंकड़ों के दुरुपयोग और निजता पर निर्देश नहीं हैं।
आधार का पक्ष: आम लोगों की निजता के उल्लंघन को लेकर कोई कानून नहीं है। इस तरह से आधार योजना में निजता उल्लंघन का कोई मामला नही बनता।
दिक्कत: आधार योजना कानूनी रूप से खाली क्षेत्र में काम कर रही है। इससे जुड़ी जानकारी कौन और किन परिस्थितियों में मांग सकता है। ऐसे सवालों को लेकर साफ नियम या दिशा-निर्देश नहीं हैं।
जानकारी लीक पर 3 साल की सजा और मुआवजा
आधार की जानकारी लीक होने पर आधार एक्ट 2016 के अनुसार तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। मामले में दोषी को क्षतिपूर्ति भुगतान को भी कहा जा सकता है। ऐसे में आधार की जानकारी लीक करने वाली कंपनी या पक्ष को पीडि़त पक्ष (जिनकी जानकारी लीक हुई) को मुआवजा देना होगा।
निजता नहीं है मूल अधिकार
संवैधानिक रूप से यह सच है कि भारतीय नागरिकों की निजता मूल अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान भी सरकार ने यही तर्क दिया था।
आधार का पक्ष: जानकारी सुरक्षित है और यह केवल सरकार और संबंधित व्यक्ति के पास है।
दिक्कत: इन दिनों आधार से संबंधित जानकारी लीक होने के मामले सामने आ रहे हैं। यह सरकारी दावे पर सवाल खड़े करते हैं।
सरकार की ओर से दी गई चेतावनी
देश में आधार कार्ड बनाने वाली कई एजेंसियां गैर-कानूनी रूप से काम कर रही हैं। आधार कार्ड की जानकारी लीक होने की शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने चेतावनी भी जारी की थी। सरकार ने कहा था कि अगर आप 50 से 200 रुपए देकर प्लास्टिक कार्ड बनवा रहे हैं, तो सावधान हो जाएं।
सरकार ने माना जानकारी हुई है लीक
महेंद्र सिंह धोनी के मामले के बाद केंद्र सरकार ने माना कि आधार से जुड़ी निजी पहचान, आधार नंबर, बैंक खाता और अन्य संवेदनशील जानकारियां लीक हुई हैं। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक पत्र में इस बात की पुष्टि हुई है। इसमें कहा गया कि आधार की जानकारी ऑनलाइन लीक हुई है। इससे सरकार के उस दावे पर भी सवाल उठे हैं, जिसमें सरकार कहती रही है कि आधार की जानकारी पूरी तरह सुरक्षित और कड़े सुरक्षा मापदंड में है।
धोनी मामला: राज्यसभा में आमने-सामने
-सरकार के पास क्या गारंटी है कि उनके पास हैकिंग को रोकने के लिए तकनीक है?
पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय मंत्री
यह एक अपरिपक्व व्यवहार का मामला था और कंपनी को 10 साल तक के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।
अरुण जेटली, केंद्रीय वित्त मंत्री