नाम का दूसरा हिस्सा फिर खोज रहा हूं. झारखंडी, मेरठी, कानपुरी और लुधियानवी के साथ बुंद…
यह एक अलसाई शाम हैं हल्की सर्दी और भारी गर्मी से भरी जब मैं एक अजनबी शहर में शामिल कर …
15 नवंबर को इंदौर में मेहमूद दरवेश और अहमद फराज पर केंद्रित एक कार्यक्रम ख्वाब मरते …
Massive Demonstration by the People Displaced by Narmada Dams Declaration of Struggle…
वो कल स्टेशन पर था. वह इसे शहर का दरवाजा कहता है. स्टेशन पर आने वाले उम्मीद भरी निगाह…
पांच दिन हो गए. आप भी सोचते होंगे ये कहां चला गया. इन पांच दिनों में मैं उसी के साथ र…
पिछली पोस्ट ने कुछ गफलत फैला दी. मैंने जिक्र किया ही था कि ये जो हिस्सा है वह उस लडक…
मैं अपनी लंबी कविता को थोडा सा रोकता हूं. असल में ये रोकना भी उस कविता को आगे बढाने क…
आखरी लंबी कविता का दूसरा हिस्सा उसके कुछ दोस्तों और करीबियों ने प्रेम किया/ और उसने भी…
आखिरी पोस्ट का पहिला हिस्सा मैं चलता हूं बार बार इसी पगडंडी पर जो आगे जाकर देखो प्रवे…
चार इमली भोपाल का वह इलाका है, जहां रहने वालों का बड़ा हिस्सा खास है। यह बात मेरे एक द…
रॉय साहब ने भेल में पांच दशक गुजारे हैं। साकेत नगर से भेल कारखाने के बीच के हर हिस्से…
वह नए साल के पहले महीने के आखिरी हफ्ते की एक सर्द शाम थी। सूरज ढलान पर था और उसे थोड़ी…
न्यू मार्केट के नाम से जुड़े पहले हिस्से से खासी गफलत हो जाती है। अव्वल तो यह उतना नया…
आज लिखा नहीं जा रहा। बुजुर्गों की डांट के बाद उंगलियां यूं भी कांपती ही हैं। हुआ यूं क…
छोटी झील से रोशनपुरा की ओर जाओ तो पुराना भोपाल अलविदा की शक्ल में हाथ हिलाने लगता है। …
मिशन भोपाल- 3 बडी झील अंतिम किस्त कमला पार्क से बड़ी झील की ओर जाओ, दस बार जाओ। हर बार…
मिशन भोपाल- 2 बडी झील पार्ट एक आज छुट्टी का दिन है, तो बड़ी झील चलते हैं। बाहर से कोई …
मिशन भोपाल- 1 लिखना अब और भी मुश्किल होता जा रहा है. न वह साफगोई रही और न इम्कानियत कि…
वे दोनों दोस्त नहीं थे लेकिन दोस्त की तरह दिखते थे. एक उम्र में कुछ बडा था और दूसरा उम…
वह एक विवेकपूर्ण नमस्कार था जिसे मैंने ऑफिस की सीढियां चढते हुए थोडा थोडा खर्च किया इस…
अलविदा साथियो, यह सचिन लुधियानवी के अंतिम शब्द हैं. अब मुझमें बुंदेलखंडी बसता है. जो ल…
भोपाल में बारिश हो रही है. मूसलाधार बारिश नहीं. रूकी-रुकी सी. फुहार वाली. मलमली दुपट्ट…
बीते सात दिनों से भोपाल में हूं. थोपे हुए भोपाल पर. उस तरह नहीं जैसे में यहां होना चाह…
हर शब्द का एक इतिहास होता है. कांति कुमार जैन जी से जाना था. कोई शब्द बनने की प्रक्रि…
भरपूर आंख से रिसते आंसू से बनता है भरोसा एक सधे हुए वाक्य के ठोस लगते सच को पढता है भर…
यह कविता मेरे एक प्रिय मित्र के लिए समर्पित है. जिसने अभी अभी प्रेम विवाह किया है. मैं…
हमें मरने की जल्दी नहीं थी हम बेपरवाह थे उम्र से चेहरे पर उगी दाडी ने हमें आश्वस्त किय…
एपी पर फोटो सर्च कर रहा था.. इंडिया वर्ड के साथ. तीन पेज खुले और आखिरी पेज पर सबसे आखि…
यह खबर जब मुझे मिली तब तक "मस्तराम" को यह दुनिया छोडे हुए तीन दिन हो चुके थे…
पिछले दिनों भोपाल में था मैं. कुछ पारिवारिक दिक्कतों से फारिग होकर माखनलाल यूनिवर्सिटी…
आज पूरे दिन ब्लॉगवाणी पर भडास दिखाई नहीं दिया. क्या इस बहुचर्चित ब्लॉग को बैन कर दिया …
कभी कभी बाज़ार में यूँ भी हो जाता है क़ीमत ठीक थी, जेब में इतने दाम नहीं थे …
पिछले दिन मोहल्ला और भडास पर जो विवाद चल रहा है. उसमें कई बार मठाधीशी का जिक्र आया है.…
जो कुछ भी अभी हो रहा है... उसे खत्म करने की में बिल्कुल भी वकालत नहीं करूंगा.. चीजों प…
देश और प्रदेश के कई ख्यात रंगकर्मी, लेखक, कलाकार और संस्कृति कर्मी करेंगे भागीदारी …
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