
हुए बहुत दिन ब्लॉगर एक
करता था हर रोज एक पोस्ट
आया एक शहर में वह
काम नहीं था कोई उसको
फिर भी दूर ब्लॉगिंग से वो
क्या मैं मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। ना काम ना धाम बस आराम ही आराम। फिर भी ब्लॉगिंग से दूर. किसका कसूर. यहां लुधियाना को देखा . बहुत करीब अभी शहर के नहीं गया हूं. लेकिन जितना देखा , उतना सीखा . कभी आपके साथ हुआ है ऐसा कि लगे अब समझ का एक मोटा मोटा तजुर्बा अर्जित कर लिया. फिर सडक पर निकलें और पता चले कि जीवन का यह हिस्सा तो जाना ही नहीं था . कमअक्ली पर न हंस पाएं न उस अनुभव को पूरा पूरा गुपड पाएं . आधा गले के भीतर और आधा जबान पर. जैसे गुलजार के सीने में नज्म उलझती है. कांच के टुकडे की तरह हलक में.
सुबह उतरा था लुधियाना में। दीवाली की छुट्टियों के बाद। कुछ नोट्स लिए। यह कविता की शक्ल में नहीं हैं. कविता जैसे लगें तो इसे कुसंगति मानें .
सुबह उतरा था लुधियाना में। दीवाली की छुट्टियों के बाद। कुछ नोट्स लिए। यह कविता की शक्ल में नहीं हैं. कविता जैसे लगें तो इसे कुसंगति मानें .
१रिक्शा हैंरिक्शावाला कहीं नहींहिस्सा हो गया है सीट से जुडकर2शोर-शोर- शोरदिल्ली यहीं, मुंबई यहीं, कानपुर यहींपूर्वांचल : नहीं- नहीं-नहीं3डिराइवर बाबू घंटाघर चलोसमाराला चौक- आगे बढो
4पूर्वांचल आ बसा है पंजाब मेंपंजाब जा बसा है कैनेडा में5कैसे हो पियागोरखपुर से आई चिट्ठी लुधियानाकट पेस्ट ई मेल गया कैनेडाआई मिस यू
6अकेली औरतपिया का करती इंतजारमोहल्ले को नजर आती " संभावना"
7जिसने देखाउसने सोचाइतना गंदावही धंधा
8500 साल पुराना शहर5 मिनिट में बदल गयाजो चुप थाबोलते ही पराया हुआ
9सचिन एक खबरशाहरुख एंकरयहां भी, वहां भीवही टैस्ट वही नजररीडेबल-रीडेबल- रीडेबल
10मुरी एक्सप्रैस में मत जानापंजाब मेल बढिया हैराजधानी सुबह निकलेगीजेब संभाल लेंहम सब जानते हैंसब शक्ल से ही दिखते हैं चोरसचिन श्रीवास्तव 09780418417