रूसी क्रांति दिवस की शुभकामनाएं। इधर वक्त की कमी थी (जो जल्द खत्म नहीं होने वाली) सो आपसे बातचीत का मौका नहीं मिला। कई मित्र नाराज हैं, कई तकरीबन हिंसक भावों के साथ खा जाने वाली नजरों से ताक रहे थे। लिखना बंद कर देने की सच्ची दलील भी काम नहीं आई। हालांकि मुझे खुद अफसोस है कि लिखने के अलावा बातचीत के रास्ते कम और धीरे-धीरे बंद होते जा रहे हैं, फिर लिखना ही बेहतर है। यूं भी मैं लिखकर ही आपसे ठीक ढंग से बात कर पता हूं। और फिर इधर कई मुद्दों पर बात करनी थी। जैसे ईराक, जैसे झारखंड, जैसे हवा का लगातार जहरीला होता जाना, जैसे आदमी का चुप लगा जाना, जैसे पैसे का एक तरफ बहते चले जाना, जैसे दुखों का पहाड बडा होता चला जाना, जैसे सच्ची खुशियों का पीछे धकेले जाना, जैसे अनायास ही सबसे मजबूत हाथ का बिछुड जाना....... बहक रहा हूं? शायद!
तो मुद्दे की बात। अब यह ब्लॉग आपके हाथ में हैं, इसे आप चलायें, आप लिखें। जो लिखें उसे chefromindia@gmail.com पर मेल कर दें। अगर वह मेहनतकश आवाम, मनुष्यता, इंसानी हक और बराबरी के पक्ष में होगा तो साया होगा ही। अब मैं नहीं लिख पाउंगा। लिखना एक आदत है, जो छूट रही है बेहद तेजी से। आपके लिखे के इंतजार में।
सचिन