सुरक्षा परिषद में बिना वीटो की स्थायी सदस्यता के मायने

सचिन श्रीवास्तव
बीते एक दशक से संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट हासिल करने की जद्दोजहद के बीच भारत ने कुछ समय के लिए वीटो अधिकार छोडऩे के विकल्प की पेशकश की है। संभव है कि भारत समेत, ब्राजील,  जर्मनी और जापान को इस आधार पर जल्द सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिल जाए।

1945 में गठित हुई थी संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद
05 देश चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमरीका हैं इसके स्थायी सदस्य
10 अस्थायी सदस्यों का चुनाव किया जाता है हर दो साल में
02 देश चीन और पाकिस्तान डालते रहे हैं भारत की स्थायी सदस्यता में अड़ंगा

10 मौजूदा अस्थायी सदस्य
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्य दो साल की अवधि के लिए अलग-अलग वैश्विक समूह से चुने जाते हैं। विभिन्न समूहों के सदस्य फिलहाल ये हैं-
अरब देश: मिस्र
अफ्रीका: सेनेगल और यूथोपिया
एशिया-पैसेफिक : जापान और कजाकिस्तान
दक्षिण अमरीका और कैरेबियाई : उरुग्वे और बोलिविया
पश्चिमी यूरोप एवं अन्य: नीदरलैंड्स और स्वीडन
पूर्वी यूरोप: यूक्रेन

क्या है सुरक्षा परिषद
सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र के छ: प्रमुख अंगों में से एक है। इसका काम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। परिषद को अनिवार्य फैसलों को घोषित करने का भी अधिकार है। ऐसे फैसलों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव कहा जाता है।

क्या है वीटो का मतलब?
वीटो का अर्थ है- मैं असहमत हूं, या मेरी अनुमति नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य देशों को यह विशेषाधिकार मिला हुआ है। इनमें से कोई भी सदस्य किसी प्रस्ताव को पारित होने से रोक सकता है। परिषद के बहुमत द्वारा स्वीकृत कोई भी प्रस्ताव इन पांच में से किसी भी एक के असहमत होने पर रोका जा सकता है।

वीटो के कारण बिखर गई थी लीग ऑफ नेशन्स
संयुक्त राष्ट्र से पहले दुनिया के देशों के वैश्विक मंच लीग ऑफ नेशन्स में भी वीटो की अवधारणा थी। तब इसके चार स्थायी और चार अस्थायी सदस्यों के पास वीटो अधिकार था। 1936 में लीग काउंसिल के अस्थायी सदस्यों की संख्या 11 हो गई और वीटो अधिकार 15 देशों के पास आ गया। लीग ऑफ नेशन्स की विफलता या निष्क्रियता की एक बड़ी वजह वीटो पावर को भी माना जाता है।

कम होता है वीटो का अधिकार
इन दिनों कई मामलों में संयुक्त राष्ट्र इसलिए कार्रवाई नहीं कर पाता, क्योंकि उसके पांच स्थायी सदस्यों के पास वीटो अधिकार है। हालांकि अब इसका इस्तेमाल बहुत कम होता है। 1945 से अब तक कुल 236 बार इसका इस्तेमाल हुआ है।

जी-4 पर विवाद
सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर काफी विवाद है। ब्राजील, भारत, जर्मनी और जापान को स्थायी सदस्यता देने पर लंबे समय से बहस जारी  है। इन्हें जी 4 कहा जाता है। जापान और जर्मनी संयुक्त राष्ट्र की काफी आर्थिक मदद करते हैं और ब्राजील और भारत दुनिया की बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं, इस कारण इनके दावे मजबूत हैं।
21 साल अस्थायी सदस्य रहा है जापान
20 साल अस्थायी सदस्य रह चुका है ब्राजील
14 साल अस्थायी सीट रही है भारत के पास
10 साल तक अस्थायी सदस्य रहा है जर्मनी

कहां है भारत की स्थायी सदस्यता में दिक्कत
सुरक्षा परिषद के पांच में चार स्थायी सदस्य फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमरीका, भारत के नाम का समर्थन करते हैं। हालांकि शुरुआत में अमरीका परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने के मुद्दे पर भारत का विरोध करता था। 15 अप्रैल 2011 को चीन ने आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका बढ़ाने का समर्थन किया। हालांकि तब चीन ने स्पष्ट रूप से स्थायी सदस्यता के बारे में यह बात नहीं कही। बाद में चीन ने भारत के दावे का समर्थन इस शर्त पर किया कि भारत जापान की दावेदारी को अपना समर्थन देना बंद कर दे। जी-4 के सदस्य होने के नाते को भारत और जापान को एक-दूसरे का समर्थन हासिल है।

अमरीकी दबदबा है सुरक्षा परिषद में
सुरक्षा परिषद में यूं तो पांचों सदस्यों की शक्तियां बराबर हैं, लेकिन फिर भी अमरीका और चीन का इसमें दबदबा है। चूंकि ब्रिटेन हमेशा अमरीका के साथ खड़ा रहा है और फ्रांस भी सीधे तौर पर अमरीका के खिलाफ नहीं रहा है। इसलिए चीन और अमरीका में भी अमरीका का पलड़ा हमेशा भारी रहता है। रूस ज्यादातर मसलों पर चीन के साथ रहा है, लेकिन कई बार रूस ने अलग राह भी चुनी है।

सुरक्षा परिषद विस्तार के चर्चित प्रस्ताव
पहला प्रस्ताव:
6 नए स्थायी सदस्य बनाए जाएं और अस्थायी सदस्यों की संख्या में भी 3 का इजाफा किया जाए। इस तरह 11 स्थायी और 13 अस्थायी सदस्यों के साथ कुल संख्या 24 की जाए।
दूसरा प्रस्ताव: आठ नए सदस्यों का एक नया समूह बनाया जाए, जो चार साल तक परिषद का सदस्य रहे। दो वर्ष वाले अस्थायी सदस्यों में भी एक सीट बढ़ाई जाए। इस फार्मूले में भी 24 (5 स्थायी, 8 चार वर्षीय और 11 दो वर्षीय अस्थायी) सीट का विकल्प है।
तीसरा प्रस्ताव: स्थायी सदस्यों की संख्या 5 ही रहे और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 20 कर दी जाए।