यह पोस्ट नितांत निजी है. मेरी एकमात्र प्रेमिका जो अब दोस्त भी है और हमसफर भी, से पिछले तीन दिन से मेरी बात नहीं हो पाई है. मैं चाहता हूं कि सिर्फ वही इसे पढें. यहां जो लिखा है वह महज उसी एकमात्र शख्सियत के लिए जिनकी थाप पर मेरा दिल धडकता है. विदा
पिछले कुछ दिनों से जी बुरी तरह से उदास है. न तुम बात करती हो न सपनों में आना होता है. नींद जो नहीं आती. आखिरी बार बात की थी तो कुछ कुछ रिश्ते तोडने के से अंदाज में तुमने फोन काटा था. तीन दिन हो गए तुम्हारी आवाज की एक भी बूंद मेरे कानों में नहीं पडी. मुझे लगता है अब तुम फोन नहीं करोगी. जिद्दी हो. मैं भी हूं. पर लगता है इस बार बात नहीं बनेगी. मैं पहल कर चुका है बीते तीन दिनों में हर दस मिनट में कॉल करता हूं. स्विच ऑफ का मैसेज आता है. मैसेज भी कर चुका हूं. कोई जवाब नहीं. अब क्या करूं. मैं उड नहीं सकता. तुम आ नहीं सकती. कोई तरकीब नहीं. मैंने उम्मीद छोड दी है.. और इसके बाद मेरे हिस्से में बचता है खालीपन.......... तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-जिंदगी से हम /ठुकरा न दें जहां को कहीं बेदिली से हम..... साहिर का है. तुम्हें खीज होगी पर यही हो गया है मुझे. कल रात एक दोस्त का फोन आया तो बेदिली से उठाया वह क्या बोला सुनाई नहीं दिया फिर कुछ चुभती सी बात कहकर फोन काट दिया. आज उसका मैसेज कहा रहा है कि मैं बदल गया हूं..... मायूशी ए माल ए मोहब्बत ना पूछिए/ अपनों से पेश आए हैं बेगानगी से हम...... तुम्हारे अलावा कुछ अहबाव ही हैं जो मुझे संभाले रहते हैं. अब यह भी दूर हो रहे हैं. खैर छोडों जैसी तुम्हारी मर्जी. मैं फोन नहीं करूंगा.... हां एक बात.... गर जिंदगी में मिल गए फिर इत्तेफाक से /पूछेंगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम. तुम कहोगी मैं रो रहा हूं वरना इस तरह की गजलों से मैं दूर रहता आया हूं. हां अभी भी हूं. इश्किया शायरी से बहुत दूर. पर क्या करूं.... हम गमजदा हैं लाएं कहां से खुशी गीत/ देंगे वही जो पाएंगे इस जिंदगी से हम.......