सचिन श्रीवास्तव
समय-समय पर देश के गरीबों के कम होने के आंकड़े आते रहते हैं। इन आंकड़ों में कुछ हद तक सच्चाई हो सकती है। लेकिन कुल मिलाकर संपत्ति बंटवारे पर हालात जस के तस हैं। देश के किसी भी हिस्से में 10 प्रतिशत सबसे अमीर परिवारों की संपत्ति बाकी परिवारों की कुल संपत्ति से कहीं ज्यादा है। यह हाल महज शहरों तक सीमित नहीं है। गांवों में भी शीर्ष 10 प्रतिशत की संपत्ति, बाकी लोगों के मुकाबले कहीं अधिक है। नेशनल सेंपल सर्वे के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, शीर्ष 10 प्रतिशत परिवारों की औसत संपत्ति सबसे निचले स्तर पर रहने वाले परिवारों के मुकाबले 50 हजार गुना ज्यादा है। जबकि छठे क्रम के 10 प्रतिशत लोगों के मुकाबले यह 18.7 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं ठीक दूसरे क्रम के 10 प्रतिशत लोगों के मुकाबले भी यह 4.1 गुना ज्यादा है। यह तो महज आधिकारिक आंकड़े हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर अघोषित आय के आंकड़ों को इसमें शामिल कर दिया जाए तो अमीर और गरीब के बीच की यह खाई कितनी बड़ी होगी।
चार्ट-1: संपत्ति का बंटवारासंपत्ति का बंटवारा अमीर और गरीब के बीच ही असमान नहीं है, बल्कि गांवों और शहरों में भी हालात एक जैसे हैं। अमीरों के पास शहर में ज्यादा संपत्ति है, तो गरीबों के लिए गांव में हालात
बेहतर हैं।
देश के परिवार शहरी औसत संपत्ति ग्रामीण औसत संपत्ति
सबसे अमीर 10 प्रतिशत 1.46 करोड़ 56.89 लाख
11-20 प्रतिशत 35.13 लाख 15.49 लाख
21-30 प्रतिशत 20.02 लाख 9.23 लाख
31-40 प्रतिशत 12.48 लाख 6.36 लाख
41-50 प्रतिशत 7.78 लाख 4.54 लाख
51-60 प्रतिशत 4.48 लाख 3.25 लाख
61-70 प्रतिशत 2.25 लाख 2.27 लाख
71-80 प्रतिशत 67.43 हजार 1.51 लाख
81-90 प्रतिशत 9.57 हजार 89.59 हजार
सबसे गरीब 10 प्रतिशत 291 25.07 हजार
स्रोत: नेशनल सेंपल सर्वे
अमीर शहर में, गरीब गांव में बेहतर
आंकड़े बताते हैं कि शीर्ष 60 प्रतिशत परिवारों की औसत संपत्ति शहर में ज्यादा है, जबकि निचले स्तर के 40 प्रतिशत परिवारों की संपत्ति गांवों में ज्यादा है। यह इस वजह से भी है कि गांवों में पशुधन और कच्चे मकान गरीबों के पास हैं।
अमीर कितने अमीर
देश के अमीर कितने अमीर हैं, इस बात का अंदाजा लगाने के लिए चार्ट पर नजर डालिये। अगर 10 प्रतिशत के समुदाय को एक परिवार माना जाए और देश के 10 संपत्ति वर्ग को 10 परिवार मानें तो शीर्ष परिवार के अलावा बाकी नौ परिवारों की कुल संपत्ति 82.90 लाख रुपए होती है, जो शीर्ष परिवार की संपत्ति 1.46 करोड़ रुपए के मुकाबले कहीं कम है। यानी शीर्ष 10 प्रतिशत परिवारों की कुल संपत्ति पूरे देश के बाकी परिवारों की संपत्ति से ज्यादा है।
संपत्ति में बढ़ा अमीरों का हिस्सा
क्रेडिट सूसी की ताजा रिपोर्ट बताती है कि देश के 1 प्रतिशत सबसे अमीर परिवारों की कुल संपत्ति 58.4 प्रतिशत हो गई है, जो सन 2000 में 36.8 प्रतिशत थी। इसके साथ ही क्रेडिट सूसी के एक आंकड़े की कम बात हो रही है, वह यह है कि देश के सबसे गरीब 70 प्रतिशत लोगों की कुल संपत्ति महज 7 प्रतिशत है, जो 2010 में 13.9 प्रतिशत थी।
खर्च में भी यह खाई है कायम
देश के औसत खर्च की बात करें तो सबसे गरीब 5 प्रतिशत और सबसे अमीर 5 प्रतिशत के बीच का फर्क बेहद ज्यादा है। सबसे अमीर 5 प्रतिशत का कुल खर्च सबसे गरीब के मुकाबले 14.7 गुना ज्यादा है। इसी तरह 51-60 प्रतिशत संपत्ति वर्ग, जो असल में भारत का मध्य वर्ग है, के मुकाबले यह 4.7 प्रतिशत ज्यादा है। जाहिर है यह घोषित आंकड़े हैं। खर्च इससे कहीं ज्यादा भी हो सकता है।
संपत्ति ही नहीं मौकों में भी असमानता
संपत्ति बंटवारे की यह खाई गरीबों के लिए मौकों में किस तरह कमी लाती है। इसकी साफ पता चलता है गरीबों के स्वास्थ्य और शिक्षा खर्च के आकलन से। मध्य वर्ग स्वास्थ्य पर 119 रुपए खर्च करता है, जबकि शीर्ष 5 प्रतिशत अमीरों का खर्च 658 रुपए प्रति माह है। इसी तरह मध्यवर्ग का शिक्षा पर खर्च भी 125 रुपए प्रतिमाह है, जो अमीरों के 908 रुपए के मुकाबले कई गुना कम है। मध्यवर्ग ही अमीरों के शिक्षा-स्वास्थ्य खर्च से मुकाबला नहीं कर पाता है, तो अन्य निचले समुदाय के लिए तो यह नामुमकिन ही है।
ब्रिटिश राज जैसी अमीरी
संपत्ति बंटवारे की खाई सिर्फ अमीर और गरीब के बीच ही नहीं है। अमीरों में भी संपति का बंटवारा असमान है। लेकिन दिलचस्प यह है कि उदारीकरण के बाद शीर्ष 1 प्रतिशत अमीरों की कुल संपत्ति में इजाफा हुआ है और यह तकरीबन उतनी हो गई है, जितनी ब्रिटिशकालीन भारत के समय थी।
अमीरों में बंटवारा 2015-16 1992-93 1922-23
शीर्ष 1 प्रतिशत की संपत्ति 12.6% 6.96% 12.72%
0.5 प्रतिशत की संपत्ति 9.6% 4.8% 9.97%
0.1 प्रतिशत अमीर 5.1% 1.9% 5.86%
स्रोत: आर्थिक सर्वे 2015-16 और टॉप इंडियन इनकम 1922-2000
समय-समय पर देश के गरीबों के कम होने के आंकड़े आते रहते हैं। इन आंकड़ों में कुछ हद तक सच्चाई हो सकती है। लेकिन कुल मिलाकर संपत्ति बंटवारे पर हालात जस के तस हैं। देश के किसी भी हिस्से में 10 प्रतिशत सबसे अमीर परिवारों की संपत्ति बाकी परिवारों की कुल संपत्ति से कहीं ज्यादा है। यह हाल महज शहरों तक सीमित नहीं है। गांवों में भी शीर्ष 10 प्रतिशत की संपत्ति, बाकी लोगों के मुकाबले कहीं अधिक है। नेशनल सेंपल सर्वे के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, शीर्ष 10 प्रतिशत परिवारों की औसत संपत्ति सबसे निचले स्तर पर रहने वाले परिवारों के मुकाबले 50 हजार गुना ज्यादा है। जबकि छठे क्रम के 10 प्रतिशत लोगों के मुकाबले यह 18.7 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं ठीक दूसरे क्रम के 10 प्रतिशत लोगों के मुकाबले भी यह 4.1 गुना ज्यादा है। यह तो महज आधिकारिक आंकड़े हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर अघोषित आय के आंकड़ों को इसमें शामिल कर दिया जाए तो अमीर और गरीब के बीच की यह खाई कितनी बड़ी होगी।
चार्ट-1: संपत्ति का बंटवारासंपत्ति का बंटवारा अमीर और गरीब के बीच ही असमान नहीं है, बल्कि गांवों और शहरों में भी हालात एक जैसे हैं। अमीरों के पास शहर में ज्यादा संपत्ति है, तो गरीबों के लिए गांव में हालात
बेहतर हैं।
देश के परिवार शहरी औसत संपत्ति ग्रामीण औसत संपत्ति
सबसे अमीर 10 प्रतिशत 1.46 करोड़ 56.89 लाख
11-20 प्रतिशत 35.13 लाख 15.49 लाख
21-30 प्रतिशत 20.02 लाख 9.23 लाख
31-40 प्रतिशत 12.48 लाख 6.36 लाख
41-50 प्रतिशत 7.78 लाख 4.54 लाख
51-60 प्रतिशत 4.48 लाख 3.25 लाख
61-70 प्रतिशत 2.25 लाख 2.27 लाख
71-80 प्रतिशत 67.43 हजार 1.51 लाख
81-90 प्रतिशत 9.57 हजार 89.59 हजार
सबसे गरीब 10 प्रतिशत 291 25.07 हजार
स्रोत: नेशनल सेंपल सर्वे
अमीर शहर में, गरीब गांव में बेहतर
आंकड़े बताते हैं कि शीर्ष 60 प्रतिशत परिवारों की औसत संपत्ति शहर में ज्यादा है, जबकि निचले स्तर के 40 प्रतिशत परिवारों की संपत्ति गांवों में ज्यादा है। यह इस वजह से भी है कि गांवों में पशुधन और कच्चे मकान गरीबों के पास हैं।
अमीर कितने अमीर
देश के अमीर कितने अमीर हैं, इस बात का अंदाजा लगाने के लिए चार्ट पर नजर डालिये। अगर 10 प्रतिशत के समुदाय को एक परिवार माना जाए और देश के 10 संपत्ति वर्ग को 10 परिवार मानें तो शीर्ष परिवार के अलावा बाकी नौ परिवारों की कुल संपत्ति 82.90 लाख रुपए होती है, जो शीर्ष परिवार की संपत्ति 1.46 करोड़ रुपए के मुकाबले कहीं कम है। यानी शीर्ष 10 प्रतिशत परिवारों की कुल संपत्ति पूरे देश के बाकी परिवारों की संपत्ति से ज्यादा है।
संपत्ति में बढ़ा अमीरों का हिस्सा
क्रेडिट सूसी की ताजा रिपोर्ट बताती है कि देश के 1 प्रतिशत सबसे अमीर परिवारों की कुल संपत्ति 58.4 प्रतिशत हो गई है, जो सन 2000 में 36.8 प्रतिशत थी। इसके साथ ही क्रेडिट सूसी के एक आंकड़े की कम बात हो रही है, वह यह है कि देश के सबसे गरीब 70 प्रतिशत लोगों की कुल संपत्ति महज 7 प्रतिशत है, जो 2010 में 13.9 प्रतिशत थी।
खर्च में भी यह खाई है कायम
देश के औसत खर्च की बात करें तो सबसे गरीब 5 प्रतिशत और सबसे अमीर 5 प्रतिशत के बीच का फर्क बेहद ज्यादा है। सबसे अमीर 5 प्रतिशत का कुल खर्च सबसे गरीब के मुकाबले 14.7 गुना ज्यादा है। इसी तरह 51-60 प्रतिशत संपत्ति वर्ग, जो असल में भारत का मध्य वर्ग है, के मुकाबले यह 4.7 प्रतिशत ज्यादा है। जाहिर है यह घोषित आंकड़े हैं। खर्च इससे कहीं ज्यादा भी हो सकता है।
संपत्ति ही नहीं मौकों में भी असमानता
संपत्ति बंटवारे की यह खाई गरीबों के लिए मौकों में किस तरह कमी लाती है। इसकी साफ पता चलता है गरीबों के स्वास्थ्य और शिक्षा खर्च के आकलन से। मध्य वर्ग स्वास्थ्य पर 119 रुपए खर्च करता है, जबकि शीर्ष 5 प्रतिशत अमीरों का खर्च 658 रुपए प्रति माह है। इसी तरह मध्यवर्ग का शिक्षा पर खर्च भी 125 रुपए प्रतिमाह है, जो अमीरों के 908 रुपए के मुकाबले कई गुना कम है। मध्यवर्ग ही अमीरों के शिक्षा-स्वास्थ्य खर्च से मुकाबला नहीं कर पाता है, तो अन्य निचले समुदाय के लिए तो यह नामुमकिन ही है।
ब्रिटिश राज जैसी अमीरी
संपत्ति बंटवारे की खाई सिर्फ अमीर और गरीब के बीच ही नहीं है। अमीरों में भी संपति का बंटवारा असमान है। लेकिन दिलचस्प यह है कि उदारीकरण के बाद शीर्ष 1 प्रतिशत अमीरों की कुल संपत्ति में इजाफा हुआ है और यह तकरीबन उतनी हो गई है, जितनी ब्रिटिशकालीन भारत के समय थी।
अमीरों में बंटवारा 2015-16 1992-93 1922-23
शीर्ष 1 प्रतिशत की संपत्ति 12.6% 6.96% 12.72%
0.5 प्रतिशत की संपत्ति 9.6% 4.8% 9.97%
0.1 प्रतिशत अमीर 5.1% 1.9% 5.86%
स्रोत: आर्थिक सर्वे 2015-16 और टॉप इंडियन इनकम 1922-2000