सेलिब्रेशन ऑफ जर्नलिज्म: साइलेंट स्प्रिंग- डीडीटी की भयावहता के खिलाफ

25 जुलाई 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित 
सचिन श्रीवास्तव
कोई एक किताब मानव इतिहास की धारा को किस कदर मोड़ सकती है, इसके अनूठे और चुनिंदा उदाहरणों में रिचल लुईस कार्सन की साइलेंट स्प्रिंग का जिक्र जरूर आता है। यह किताब पर्यावरणविदों को ताकत देती है, तो पत्रकारीय उसूलों और नियमों की तहरीरी घोषणा भी करती है। जानते हैं बीते 5 दशक से चर्चा में रही और दुनिया भर के पर्यावरण आंदोलनों को ताकत देने वाली साइलेंट स्प्रिंग की कहानी....

बीती सदी के चौथे दशक में मलेरिया एक जानलेवा बीमारी के रूप में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका था। युद्ध, अकाल और विस्थापन से जूझती चौथे दशक की दुनिया में मलेरिया इंसान का एक नया दुश्मन था। ऐसे में सन् 1939 में डीडीटी की खोज किसी वरदान से कम नहीं थी। लेकिन मलेरिया के खिलाफ एक हथियार बनी डीटीटी ने जब साठ के दशक तक आते-आते खेतों में पैठ बनाने लगी तो एक नए तरह की समस्या पैदा हो गई। एक तरफ तो अत्याधिक इस्तेमाल के कारण मच्छर डीडीटी के प्रति प्रतिरोधी हो रहे थे, और दूसरी तरफ फसलों में हानिकारक रसायनों की मात्रा बढ़ती जा रही थी। लेकिन मलेरिया से लडऩे का कोई कारगर तरीका मौजूद नहीं था, इसलिए पर्यावरणविदों के बीच भी एक गैरमामूली चुप्पी तारी थी। ऐसे में रिचल लुईस कार्सन की किताब साइलेंट स्प्रिंग के प्रकाशन के बाद एक हलचल शुरू हुई। किताब ने डीडीटी की भयावहता से दुनिया को परिचित कराया और आखिरकार एक आंदोलन खड़ा हुआ। 

साल दर साल
1962 में साइलेंट स्प्रिंग आई। यह 20वीं सदी की 100 सबसे बेहतरीन नॉन फिक्शन किताबों में शामिल है। किताब में कीटनाशकों के इंसान और पशु-पक्षियों पर पडऩे वाले प्रभाव की विस्तृत व्याख्या है। किताब आने के बाद पूरी दुनिया में डीडीटी जैसे कीटनाशकों पर प्रतिबंध की मांग उठी। 
1970 में अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने एनवॉयरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी का गठन किया। 
1972 में पेस्टीसाइड के खिलाफ कारगर कानून बनाने के लिए फेडरल इनसेक्टीसाइड, फंगीसाइड और रोडेंंटीसाइड एक्ट पास किया गया। 
1982 में अमरीका के रीगन प्रशासन ने आर्थिक विकास पर जोर दिया और कई सारे प्रतिबंध हटा लिए।
1986 में अमरीकन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ने घोषणा की कि अमरीका डीडीटी पर प्रतिबंध लगाने के लिए फंड देता रहेगा। इसके विकास से संंबंधित किसी भी कार्यक्रम में सहभागी नहीं होगा। 
1989 में संयुक्त राष्ट्र ने डीडीटी को प्रतिबंधित पेस्टीसाइड की सूची में डाला।
2015 में दुनिया भर के देशों ने 2020 तक डीडीटी को पूर्णत: प्रतिबंधित करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए।

रिचेल कार्सन 
पर्यावरण कार्यकर्ता रिचल लुईस कार्सन का जन्म 27 मई 1907 को हुआ था। कासन ने अपने कॅरियर की शुरुआत यूएस ब्यूरो ऑफ फिरीज़ में बायोलॉजिस्ट के रूप में की थी। कार्सन को पहली किताब द सी अराउंड अस के लिए यूएस नेशनल अवार्ड मिला था। साइलेंट स्प्रिंग आने के महज दो साल बाद ही 1964 में उनकी मौत हो गई।

आलोचना
कार्सन के एनवायरमेंटल मूवमेंट की कई लोगों और संस्थाओं ने आलोचना भी की। आलोचकों का कहना है कि मलेरिया को रोकने का और कोई तरीका मौजूद नहीं है। जब तक मलेरिया से लडऩे का कारगर तरीका नहीं खोजा जाता तब तक डीडीटी को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। प्रमुख आलोचकों  में अफ्रीका फाइटिंग मलेरिया एनजीओ से जुड़े प्रसिद्ध इकोनामिस्ट रोजर बेट और किसी वक्त डीडीटी के समर्थक रहे आमिर अत्तारन शामिल हैं।  

6 हजार टन डीडीटी का उत्पादन होता है हर साल। इसका बड़ा हिस्सा कृषि कार्यों और मच्छरों को मारने में इस्तेमाल किया जाता है।