यह महिला क्रिकेट इतिहास का महज 256वां वनडे था। आप कह सकते हैं कि डेनमार्क जैसे आसान गेंदबाजी आक्रमण के सामने बनाए गये बैलिंडा के इस दोहरे शतक से कहीं ज्यादा मुश्किल और खूबसूरत पारी सचिन ने खेली, लेकिन यहां सचिन की महानता और उनकी क्रिकेटीय खूबसूरती नहीं बल्कि उस मानसिकता की ओर मैं इशारा करने की कोशिश कर रहा हूं जो पुरुष क्रिकेट के भगवान और अन्य देवताओं के आगे बाकी सारी मानवीय उपलब्धियों को फीका समझती है। हालांकि यह बात भी सच है कि अगर गेंदबाजी आक्रमण की कमजोरी ही बडी पारियों का आधार होती तो अब तक बांग्लादेश, कीनिया, हालैंड, नाइजीरिया आदि के खिलाफ दोहरा शतक लग चुका होता। और फिर सचिन ने द अफ्रीका जैसे आक्रमण के खिलाफ यह सर्वकालिक महान पारी खेली है। बस बात इतनी ही कि क्यों नहीं बैलिंडा की पारी का जिक्र तक किया जा रहा इस उपलब्धि के साथ।
मूलत: घुमक्कड़। इतिहास, दर्शन, सामाजिक सैद्धांतिकी, तकनीक, सोशल मीडिया, कला, साहित्य, फिल्म और क्रिकेट के अध्ययन में गहरी दिलचस्पी। संविधान, न्याय, लोकतंत्र के साथ तकनीक की राजनीति की परतें खोलने की कोशिश। मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के ओंडेर गांव में जन्म। शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मुंगावली और गंज बासौदा में। किशोरवय में भारतीय जन नाट्य मंच (इप्टा) से जुड़ाव। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि, भोपाल से स्नातक। जालंधर, रांची, मेरठ, कानपुर, लुधियाना, भोपाल, इंदौर, गाजियाबाद, मुंबई, नोएडा आदि शहरों में विभिन्न मीडिया संस्थानों में नौकरियां। डायरी से कविता और कहानी से रिपोर्ताज तक विभिन्न विधाओं में फुटकर लेखन। इन दिनों अपने शहर भोपाल में बतौर सामाजिक—राजनीतिक कार्यकर्ता उम्र को तुक देने की कोशिश... More