सचिन के 200 रन को वनडे इतिहास का पहला दोहरा शतक घोषित करने वाली मर्द मानसिकता को सलाम। दोस्तो हम क्यों महिला क्रिकेट को भूल जाते हैं। याद कीजिए बैलिंडा क्लार्क की पारी। बात एक दशक पुरानी है, सो शायद भुलक्कड उत्साही क्रिकेट दीवाने उस पर गर्द डाल चुके हैं। सचिन तेंदुलकर के गृहनगर मुंबई में बैलिं
डा ने 155 गेंद में नाबाद 229 रन बनाए थे। डेनमार्क के खिलाफ 16 दिसंबर 1997 को। डेनमार्क को 49 रन पर ऑलआउट कर ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच 363 रन से जीता था। मैच में बैलिंडा ने पारी की शुरुआत की थी और इस तूफानी पारी में उन्होंने 22 चौके लगाए थे।
यह महिला क्रिकेट इतिहास का महज 256वां वनडे था। आप कह सकते हैं कि डेनमार्क जैसे आसान गेंदबाजी आक्रमण के सामने बनाए गये बैलिंडा के इस दोहरे शतक से कहीं ज्यादा मुश्किल और खूबसूरत पारी सचिन ने खेली, लेकिन यहां सचिन की महानता और उनकी क्रिकेटीय खूबसूरती नहीं बल्कि उस मानसिकता की ओर मैं इशारा करने की कोशिश कर रहा हूं जो पुरुष क्रिकेट के भगवान और अन्य देवताओं के आगे बाकी सारी मानवीय उपलब्धियों को फीका समझती है। हालांकि यह बात भी सच है कि अगर गेंदबाजी आक्रमण की कमजोरी ही बडी पारियों का आधार होती तो अब तक बांग्लादेश, कीनिया, हालैंड, नाइजीरिया आदि के खिलाफ दोहरा शतक लग चुका होता। और फिर सचिन ने द अफ्रीका जैसे आक्रमण के खिलाफ यह सर्वकालिक महान पारी खेली है। बस बात इतनी ही कि क्यों नहीं बैलिंडा की पारी का जिक्र तक किया जा रहा इस उपलब्धि के साथ।
सचिन महान हैं, बडे क्रिकेटर हैं, लेकिन उनके बारे में बात करते हुए भावना के बजाए तथ्यों को ध्यान में रखें। बहुत बहुत बधाई सचिन। मुझे आप पर गर्व है, हर हिंदुस्तानी और क्रिकेटप्रेमी की तरह।