बीडीओ साहब का अपहरण हो गया। इससे पहले क्रशर मालिक का हुआ था। अखबार में ऐसी खबरें पढ़कर हेमलाल बडा परेशान है। वह अपना रिक्शा छुपाकर रखता है। उसे डर है कि कहीं उसका अपहरण हो गया और बदले में किसी ने रिक्शा मांग लिया तो वह कमाएगा कैसे और खाएगा क्या! बडी भारी परेशानी से गुजर रहा है हेमलाल। खतरा तो यह भी है कि हेमलाल से रास्ते में कोई रिक्शा छीन ले, लेकिन इस खतरे का इंतजाम उसने पहले ही कर लिया है। रात होने से पहले वह घर आ जाता है। घर क्या है, एक झोंपडी है। नाले के पास की कच्ची जमीन पर पिछले साल बनाई थी। वही झोंपडी, जिसे निगम के बडे बाबू के एक कागज की ताकत से उखाड दिया था।
हेमलाल ने उसी जगह पर फिर बना ली है, और कोई जगह मिली ही नहीं, तो कहां रहता। उसने अपनी मेहरारू को भी समझा दिया है, किसी से ज्यादा बात न करे और जो ३०० रुपये बचाकर रखें हैं उनके बारे में भी किसी को न बताए। बीडीओ को तो कहते हैं नक्सलियों ने पकड़ा है, तो सरकार छुडा लेगी। क्रशर मालिक भी अपने ढेर सारे पैसे में से कुछ दे दाकर छूट जाएगा। हेमलाल पकडा गया तो उसकी मेहरारू की कौन सुनेगा। और सारा पैसा और रिक्शा देकर छूट भी गया तो जीने-खाने के लाले पड जाएंगे। बडी दिक्कत है। माथा दुखता है। कल लालपुर से कांटाटोली जाते हुए हेमलाल ने बताया। साहब, हमारा अपहरण हो गया तो मेहरारू बहुत रोएगी। जल्दी छोड देते हैं, स्टेशन तक नहीं जा पाएंगे, लौटते हुए देर हो गई, तो भरोसा नहीं क्या हो जाए।