माफी चाहता हूं दोस्तो. हरिवंश जी पर लिखने के पहले मैंने दावा किया था किया अपने हिस्से के पूरे हरिवंश से आपको रूबरू कराउंगा. लेकिन कलम साथ नहीं देती... गुलजार के शब्दों में लफ्ज उडते फिरते हैं तितलियों की तरह.. बैठते ही नहीं कागज पर... अब क्या कहूं... इस एक शख्सियत में इस एक पर्सनालिटी में इतनी शख्सियतें हैं कि हर बार वे नए से लगते हैं... पत्रकार हरिवंश, संपादक हरिवंश, भारतीय हरिवंश, पिता हरिवंश, दोस्त हरिवंश, साथी हरिवंश, बॉस हरिवंश, अपने हरिवंश, उनके हरिवंश...... सभी हरिवंश... अकेले हरिवंश... 15 पी कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया के हरिवंश, ओमशांति अपार्टमेंट, कांके रोड के हरिवंश, .............उनके बारे में लोग लिखते रहेंगे एक इंसान के भीतर छुपी विभिन्न पर्सनालिटी से लोग परिचित कराते रहेंगे... फिलवक्त आप निम्न लिंकों पर उनके बारे में जो ब्लॉग पर पिछले दिनों आया है उसे जान सकते हैं...
यहां एक बात और कह दूं कि हरिवंश जी की पर्सनालिटी पर एक बहुत अच्छा और ब्लॉगों पर आए संस्मरणों से कहीं ज्यादा उनके काम की परेशानियों से रूबरू कराता, उनके अलग होने के कारण दिखाता आलेख पिछले दिनों कथादेश में एक पत्र की शक्ल में छपा था... लिखने वाले हमारे करीबी और हबीबी अविनाश हैं... इस ब्लॉग कथा के साथ उस लेख को भी कहीं से ढूंढ ढांढ कर जरूर पढें... न मिले तो अविनाश जी पर दबाव बनाकर उनसे दिल्ली दरभंगा छुटकी लाइनिया पर पोस्ट करवाएं... फिलवक्त जो उपलब्ध है वह देखें.....
इन सभी लिंक पर मनन करने के बाद जिस एक शख्स से आप बात करना चाहेंगे वह हरिवंश जी ही होंगे... उन्हें 0651-3053126 पर फोन कर सकते हैं... बस ध्यान रखें कि वे अखबारी आदमी हैं और 24 घंटे प्रभात खबर और पत्रकारिता की दुनिया में रहते हैं...