अंधविश्वास : कुछ फुटकर नोट्स और टॉप के अंधविश्वासियों पर एक नजर: भाग पांचअंधविश्वास की कड़ी में टोटकों का चलन पुराना है। मगर हैरत की बात यह भी है कि अनेक विश्वविख्यात लेखक भी इन पर यकीन करते थे और लेखन के समय इनका नियमित रूप से पालन करते थे, जो बाद में उनकी आदत में शुमार भी हो गया। हालांकि इन्हें पूरी तरह अंधविश्वास नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह आदतें थीं, लेकिन बाद में नियम की तरह इनका पालन अंधविश्वास की श्रेणी में ही आता है।
- महान फ्रांसीसी लेखक एलेक्जेंडर ड्यूमा का विचार था कि सभी प्रकार की रचनाएं एक ही रंग के कागज पर नहीं लिखनी चाहिए। उनके मुताबिक उपन्यास आसमानी रंग के कागज पर और अन्य रचनाएं गुलाबी रंग के कागज पर लिखनी चाहिए।
- प्रख्यात हिन्दी लेखक रांगेय राघव को फुलस्केप आकार का कागज भी बेहद छोटा लगता था।
- इसी तरह चाल्र्स आउडिलायर (1821-1867) नामक फ्रेंच कवि को हरा रंग लिखने की प्रेरणा देता था। उन्होंने अपने बालों को हरे रंग से रंगा हुआ था।
- प्रख्यात समीक्षक डॉ. सैम्युअल जॉन्सन अपनी पालतू बिल्ली लिली को मेज पर बिठाकर ही लिख पाते थे।
- गार्डन सेल्फिज शनिवार को दोपहर में और शेष दिनों में रात के समय लिखते थे।
- विख्यात अंग्रेजी उपन्यासकार और समीक्षक मैक्स पैंबर सिर्फ सुबह दस बजे तक ही लिखते थे। इसलिए एक उपन्यास को पूरा करने में उन्हें बहुत ज्यादा समय लगता था।
- इटली के लेखक जियो ऑक्विनी रौसिनी (1791-1868) लिखने का मूड बनाने के लिए हमेशा नकली बालों की तीन विग पहना करते थे।
- प्रसिद्ध जर्मन कवि फेडरिक वान शिल्लर (1759-1805) अपने पैरों को बर्फ के पानी में डुबोकर ही कविताएं लिख सकते थे। अगर वे ऐसा नहीं करते थे तो उन्हें कविता का एक भी शब्द नहीं सूझता था।
- फ्रांसीसी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार मोंपासा मूड फ्रैश होने पर ही लिखते थे। अपने को तरोताजा करने के लिए वे नाव चलाते, मछलियां पकड़ते या फिर मित्रों के साथ हंसी-ठिठौली करते थे।
- राइज एंड फास्स ऑफ रोमन एंपायर के लेखक नाटककार गिब्सन को लिखने के लिए पहले एकाएक संजीदा होना पड़ता था।
- महान फ्रांसीसी लेखक बाल्जाक की आदत भी विचित्र थी। वह दिन में फैशन के कपड़े पहनते और रात को लिखते समय पादरियों जैसा लिबास पहनते थे।
- सुप्रसिद्ध लेखक बट्रेड रसेल का अपनी लेखन प्रक्रिया के बारे में कहना था कि उनका लेखन मौसम पर ही आधारित होता है। खुशगवार मौसम में वे रात-दिन लिखते थे और गर्मी वाले उमस भरे दिन में वे लिखने से कतराते थे।
- एईडब्ल्यू मेसन भी मूडी स्वभाव के थे। जब उनका मन करता तभी लिखने बैठते। वे रात या दिन मूड होने पर कभी भी लिख सकते थे।
- गोल्जस्मिथ को लिखने से पहले सैर करने का भी शौक था। अपने उपन्यास, कविताएं और नाटक रचने के दौरान उन्होंने दूर-दराज के इलाकों की यात्रा की।
- गिलबर्ट फ्रेंको सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक लिखा करते थे। दोपहर के भोजन के बाद एक घंटे लिखते थे और फिर वह शाम को भी दो घंटे तक लिखते थे। रात को लिखना उन्हें जरा भी पसंद नहीं था।
- सर ऑर्थर पिनेरी को केवल रात में ही लिखना पसंद था। दिन में अगर वे लिखने बैठते तो उन्हें कुछ सूझता ही नहीं था।
- इसी तरह की आदत लुई पार्कर को भी थी। वे दिनभर सोते और रात को जागकर लिखते थे।
- अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन को औंधे मुंह लेटकर लिखने की अजीब आदत थी।
- अर्नेस्ट हेमिंगवे फ्रांस के क्रांतिकारी लेखक विक्टर ह्यूमो और पंजाबी के उपन्यासकार नानक सिंह को खड़े होकर लिखने की आदत थी।
- विस्मयली लैक्स सुबह चार बजे से दिन के 11 बजे तक और शाम को साढ़े सात बजे तक तथा रात को फिर 11 बजे तक लिखते थे। उनका बाकी का समय सोने और चाय पीने में बीतता था।
- प्रख्यात रूसी लेखक फीडिन ने जब उपन्यास असाधारण ग्रीष्म ऋतु लिखा तब वह समुद्र किनारे रह रहे थे। उनका मानना था कि समुद्र की लहरों की गूंज की आवाज उन्हें निरंतर लिखने के लिए प्रेरित करती थी।
- हैरसवासिल सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम को पांच बजे से सात बजे तक लिखते थे। डेलिस ब्रेडकी केवल तीन घंटे ही लिखते थे और वह भी सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक।
- सर ऑर्थर कानन डायर केवल सुकून महसूस करने पर ही लिखते थे। अगर किसी बात से उनका मन जरा भी विचलित होता तो वे एक पंक्ति भी नहीं लिख पाते थे।
- जर्मनी के कार्लबेन को लिखने की प्रेरणा संगीत से मिलती थी। उन्होंने अपनी पसंद के गाने रिकॉर्ड कर रखे थे। पहले वे टेप चलाते और फिर लिखने बैठते।
(अंधविश्वास की 'काली लिखाई' अंतिम पड़ाव में है। कल पढिय़े आखिरी पोस्ट जिसमें बात करेंगे लकी चार्म और कुछ ज्योतिष की)