मैं आज से उसको अपना दोस्त मानने से इंकार करता हूं

वह कभी मेरा दोस्त था। साथ कई खूबसूरत शामें गुजारीं। दुनिया की बेहतर शक्ल को ईजाद करने के लिए कसरतें कीं और बराबरी की दुनिया के वे हामी भी लगा। इन दिनों जब वह मुझे अपनी इच्छाओं, सपनों और जरूरी कामों से दूर जाता लग रहा है, अफसोस की शक्ल में दोस्ती की नींव को फिर खोदने में कोई मजबूरी नहीं दिख रही। ऐसे दोस्त जीवन से बाहर हो जाएं यही अच्छा है। एक गलत शख्स से दोस्ती का खामियाजा भुगतने की तकलीफ उस तकलीफ से बडी है, जो एक अच्छा दोस्त खो देने पर हो रही है। तुमसे जो अभी अभी बातचीत की है वह शायद दो पासवर्ड के बीच ही रहेगी, लेकिन उसे करते हुए जो टूटन मैंने महसूस की है वह तुम कभी महसूस नहीं कर सकते, जो स्वार्थी होने की गर्वोक्ति पूरी आवाज में कर रहे हो। याद होंगी वह शामें जिनमें बडी झील को शब्दों में पिरोते हुए हमने दुनियादारी पर कुछ बेहतरीन किस्से बुने थे। मुझे नहीं पता तुम अपनी शक्ल में कब मौजूद रहे। भोपाल में, दिल्ली में, रांची में, पटना में या उन दिनों में जब मैं मेरठ से बेइरादा दिल्ली की सडकों पर आवारगी के लिए तुम्हें टटोलता था।
खैर शुक्रिया कि रहा सहा यकीन भी आज डिगा दिया जो मनुष्य होने के एवज में मुझे मिला था। यकीनन तुम कामयाब होगे। तुम्हारी कामयाबी पर कोई भी यकीन कर लेगा। मेरी शुभकामनाएं। एक जाते हुए दोस्त की शुभकामनाएं लेने का सलीका शायद भूल चुके होगे, इसलिए सिर्फ अलविदा। इन शब्दों के साथ कि


मेरे हिस्से की नमी में थोडा नमक था
मेरे हिस्से के पानी में कुछ किस्से
मेरे हिस्से के जीवन में एक बेशक्ल इरादा था

तुम्हारे हिस्से की जमीन में खून की बूंदे थीं
मेहनतकश आवाम के खून की बूंदें
जिनमें सपने थे दुनिया की बेहतर शक्ल के
किस्से थे खूबसूरत दिनों के
इरादे थे उम्मीद की बाजू पर टंगे हुए

सच की हर सेंधमारी के खिलाफ
तुमने टांग रखे थे अपने हथियार
तुम्हारे हिस्से की जमीन से कहीं ज्यादा थी तुम्हारे कब्जे में जमीन

कब्जे की जमीन का अपना इतिहास था
तुम्हारी जमीन पर दर्ज हुई खून की बूंदों का इतिहास
खून के रंग ओ बू से उठती लकीर के खिलाफ
तुमने लगाई ताकत
ताकत जिस पर रहा हमेशा तुम्हारा कब्जा

ये ताकत जिस दिन हमारे हिस्से में आएगी
हम बुनेंगे
बेहतर दुनिया का दरीचा
इंसानी हक का नया फलसफा
तब तक इंतजार
हमारी नियति है
तुम्हारी नीयत