इंदौर, 19 मार्च, 2017 .
सईद के परिवारजन इंदौर प्रेस क्लब के पदाधिकारियों और सईद के दोस्तों के साथ |
सईद
खान का परिचय देते हुए इन्दौर प्रेस क्लब के महासचिव नवनीत शुक्ला ने कहा-
सईद, दोस्त, साथी पत्रकार ही नहीं हमारे लिए सलाहकार जैसे भी थे। हर हाल
में किसी भी अवसर पर उनकी सलाहे हमें उबारती थीं, आगे बढने का हौसला देतीं
थीं औऱ समृद्ध करतीं थीं। हमने तय किया है कि उनकी स्मृति में इंदौर प्रेस
क्लब की ओर से हर वर्ष खोजी पत्रकारिता के लिए एक सम्मान दिया जाएगा। यह
सम्मान प्रतिवर्ष प्रेस क्लब के वार्षिक समारोह में 9 अप्रैल को दिया
जायेगा। पुरस्कार की राशि 11 हज़ार रुपये होगी।
सईद को याद करते हुए उनके भाई अकबर |
आदिवासी
हकों, शिक्षा और पर्यावरण के मसलों पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता
राहुल बनर्जी ने सईद के साथ अपने संस्मरणों के बीच में कहा- सईद खबरों की
बाईलाईन में अपना नाम नहीं देता था। लेकिन पढ़कर सईद का लिखा हमेशा पहचान
में आ जाता था। सईद प्रेरणाओं से भरा हुआ था। उसका व्यक्तित्व चाय के
प्याले की अंतिम बूँद पीनेवाले व्यक्ति का था। वो शहर के भीतर के ही नहीं
बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी काम कर रहे लोगों को ढूंढता और उनके
काम के महत्त्व को रेखांकित कर उन्हें नयी ऊर्जा और गौरव का भाव देता था।
उन्होंने धार का एक किस्सा सुनाया कि किस तरह टवलाई में जहां हम आराम के
लिए रुके, सईद ने वहां से नर्मदा बचाओ आंदोलन के उद्गम की कहानी निकाल ली
और वो स्टोरी हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित हुई।
राहुल बनर्जी, संजीव माथुर और अभय नेमा |
सईद को याद करते हुए कलेक्टर पी. नरहरि |
नईदुनिया,
इंदौर में उपसंपादक और सईद के करीबी रहे पत्रकार अभय नेमा ने अनेक किस्से
याद करते हुए कहा- सईद ने जान बूझकर गाड़ी नहीं ली थी। वे चाहते तो गाड़ी
गिफ्ट में ही मिल जाती लेकिन उन्होने अपनी ईमानदारी से कभी समझौता नहीं
किया। निर्भीक पत्रकारिता की, कमज़ोर लोगों का हमेशा खयाल रखा। वे हमेशा
घूमते रहते थे, लोगों से बातचीत कर करके खबरें निकालते थे। जब ट्रेजर
आईलैंड बन रहा था तो सईद एक दिन ऊपरे माले पर पहुँच गये। यों ही बात चीत
शुरू कर दी और तब उन्हें पता लगा यह माला अवैध है। इसके बाद उन्होंने कई
स्टोरी कीं और बिल्कुल नहीं झुके न ही कोई प्रलोभन स्वीकार किया। सईद अपनी
ऐसी सफलताओं की कभी डींग नहीं हाँकते थे। वे किसी को डरा देने, दवाब में ले
लेने के किस्से सुनानेवाले पत्रकार नहीं थे। उनकी कमी ने आज इंदौर की
पत्रकारिता में बड़ी कमी उपस्थित कर दी है। देश भर में पत्रकारिता अब
सेल्फी जर्नलिज्म और संबंधाश्रित होती जा रही है, ऐसे में सईद जैसे लोग
पत्रकार साथियों के लिए भी आइना दिखाते थे।
इंदौर
में कई वर्षों से रह रहे व्यापारी और सईद के अभिन्न मित्र फ़िलिस्तीनी मूल
के आमिर खान ने कहा - वह बहुत अच्छा दोस्त था। उससे मेरी दोस्ती फुटपाथ पर
हुई थी। वह इंदौर को इंदौर के लोगों से बेहतर ही नहीं जानता था बल्कि
फिलिस्तीन को भी मुझसे बेहतर जानता था। मैं समझता हूँ वह पत्रकारिता में और
जीवन में बड़ा रिसर्च करनेवाली शख्सियत थी।
सईद |
प्रेस
क्लब के सभागार में सईद की अनेक तस्वीरें लगी थीं। एक तस्वीर में सईद की
उँगलियों में फंस हुआ सिगार भी है। उस ओर इशारा करके जया ने सईद की
जिंदादिली से जुड़ा एक संस्मरण भी सुनाया। उन्होंने बताया- मैं जब पहली बार
२० साल पहले क्यूबा गयी थी तो सिगार का एक डिब्बा लेकर आई थी। घर में कोई
स्मोकर न होने से वो पड़ा रहा और सालों बाद फिर एक दिन सामान इधर-उधर करने,
सहेजने के दौरान वह डिब्बा मिल गया। बीस साल बाद क्यूबाई सिगार का वह
डिब्बा अचानक मिला तो हम सब दोस्तों ने उसे उत्सव की तरह मनाने को सोचा।
दफ्तर से छूटकर रात में करीब 12 - 1 बजे सईद भी मेरे घर आ गए। सिगार पुराने
हो जाने से सूख गए थे और जल नहीं पा रहे थे तो सबने सोचा कि कम से कम थोड़ी
देर के लिए अपने आपको फिदेल कास्त्रो और चे गुवेरा समझ जाए। सबने बारी-बारी से सिगार को मुंह में लगाया। सब खुद को फिदेल और चेग्वेरा समझते रहे और खुश होते रहे। तब सईद ने उसे वैसे ही मुंह में लगाकर सारिका से तस्वीरें खिंचाई जो यहाँ अभी लगी हैं।
कवि
एवं सामाजिक कार्यकर्ता विनीत तिवारी ने सईद को बड़ी शिद्दत से याद करते
हुए कहा- सईद के यों तो अनगिन किस्से हैं। सईद का व्यक्तित्व बड़ा उबड़
खाबड़ लेकिन हरफनमौला था। वह क्रांतिकारिता, ईमानदारी को अलग नहीं मानता था
बल्कि इंसानियत में ही क्रांतिकारिता को देखता था। वह जो भी कहता था
विनम्रता, ईमानदारी और सरोकार के साथ कहता था। सईद को याद करने का मतलब है
खुद को बेहतर इंसान बनाना, सरोकारों के प्रति पूरी मेहनत से समर्पित रहना।
मैं आज खुद को बेहतर इन्सान महसूस कर रहा हूँ। वह अपनी पत्रकारिता को सड़क
के गड्ढे से खेती तक लेकर आया। वो हम लोगों से खेती के बारे में जानना
समझना चाहता था की किस तरह गाँवों में आजीविका का भीषण संकट फैला हुआ है और
उसका सही सही कारण क्या है।
हम
सईद को आज इस तरह उसके अपनों, उसके काम के साथ याद करते हुए कपङे साथ उसे
ज़िंदा महसूस कर रहे हैं। कह सकते हैं सईद अगर ज़िंदा होता तो उसके जैसे और
लोग हमारे साथ आते, सामूहिकता और सांगठनिकता से बेहतर पत्रकारिता की अनेक
मिसालें बनतीं और नए पत्रकारों के लिए प्रेरणा बनती। हमसईद के ज़रिये हम
यही करने की कोशिश करेंगे और इस तरह सईद को अपने साथ ज़िंदा रखेंगे।
उन्होंने कलेक्टर महोदय को भी कहा कि अब आप भी अपने आपको हमसईद का हिस्सा
समझें।
सईद बहुत स्वाभिमानी
था और वो किसी भी तरह किसी लालच या दबाव में नहीं आता। था ऐसा जीवन जीने
से आप में एक गौरव भाव आता है। सईद कैंसर से भी घबराया नहीं और आखिर वो
गया भी तो अपने सम्मान के साथ। सईद शादीशुदा नहीं थे। सईद ने स्वयं विवाह नहीं किया था। अकबर का परिवार और उसके दोस्त ही उसका परिवार था। उसकी जान उनकी अपनी भतीजियों महक, निदा और ज़ोया में बसती थी। बच्चियां सईद को सईदसईद कहती थीं और बदले में सईद भी उनका दो बार नाम लेते थे। अपने
प्यारे सईद सईद के बारे में सुनकर और उनकी तस्वीरें देखकर बार बार उनकी
आँखों में आँसू छलक आ रहे थे। लेकिन सईदसईद को तस्वीरों में मुस्कुराता
देखकर वो अपने आँसू पोंछ लेती थीं और मुस्कुराने लगतीं थीं।
जया
मेहता ने एक दिन पहले ही दिवंगत हुईं भारती जोशी को भी याद किया। उन्होंने
कहा भारती जी बहुत अच्छी शिक्षिका थीं। वे बहुत अच्छा पढ़ाती थीं और बोलती
थीं। भारती जी की आवाज़ बहुत अच्छी थी। उन्होंने बहुत अच्छे नाटक भी बनाये
थे। सभा में उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर उनके प्रति भी अपनी
श्रद्धांजलि और प्रेम प्रकट किया।
इस
अवसर पर बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार, स्वजन एवं अलग अलग
क्षेत्रों की शख्सियतें उपस्थित रहीं। उपस्थित लोगों में प्रमुख रूप से
भोपाल से आईं सईद की भाभी फौज़िया, प्रेस क्लब इंदौर के अध्यक्ष अरविन्द
तिवारी, पूर्व अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, अजय लागू, सुलभा लागू, सारिका
श्रीवास्तव, रुद्रपाल यादव, प्रमोद बागड़ी, संजय वर्मा, कैलाश गोठानिया,
कल्पना मेहता, कविता जड़िया, अनुराधा तिवारी, हसन भाई, जावेद आलम आदि
उपस्थित थे। प्रलेसं, इप्टा, सन्दर्भ, रूपांकन, इन्दौर प्रेस क्लब एवं
मेहनतकश के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में रूपांकन
इंदौर की ओर से अशोक दुबे द्वारा पत्रकारिता पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी
भी लगायी गयी। इस कार्यक्रम का संचालन विनीत तिवारी ने किया।