पिछले दिन मोहल्ला और भडास पर जो विवाद चल रहा है. उसमें कई बार मठाधीशी का जिक्र आया है. मैं मुद्दे पर बहस करने के पक्ष में हूं. यहां मैं एक क्षेपक की तरह कुछ आंकडे रख रहा हूं. इसे मूल बहस से दूर रखकर बस इतना भर जान लें कि क्या सचमुच अविनाश और यशवंत की हैसियत ब्लॉगिंग की मठाधीशी करने की है.. या फिर ये दोनों भी किसी और के हाथों की कठपुतली भर हैं और किसी अन्य के खेल में मोहरे की तरह इस्तेमल हो रहे हैं? साथ में यह भी सोचें कि आपके अपने ब्लॉग की हैसियत इस खेल में क्या है... ये जो इतना सारा फ्री स्पेश मुहैया कराया गया है क्या महज दिल बहलाव के लिए है? अथवा इसकी कई और पर्तें भी हैं... दोस्तो खेल बहुत बडा है....
जरा इन बिंदुओं पर नजर डालें
शुरुआत: मोहल्ले की शुरुआत एक फरवरी 2007 को हुई और भडास की हालिया यानी दूसरी पारी 12 जनवरी 2008 को शुरु हुई. यूं भडास की पहली पारी मई 2007 के आसपास शुरु हुई थी.. दोनों ही स्थितियों में ब्लॉगिंग में अविनाश यशवंत से सीनियर प्लेयर हैं.पोस्ट: अपने तकरीबन 13 महीने के कार्यकाल में मोहल्ले पर 482 पोस्टें डाली गईं जो उसके 41 मेंबर लेखकों ने डालीं. इसी तरह अपने हालिया दो माही कार्यकाल में भडास पर 1208 पोस्टें डाली गई, जिनमें से 437 पोस्टें ड्राफ्ट में ही रहीं यानी प्रकाशित नहीं की गईं यानी कुल 771 पोस्टें जो 229 भडासियों ने डालीं.कमेंट: भडास की पोस्टों पर कुल मिलाकर 1079 कमेंट आए तो मोहल्ले पर 2779 कमेंट विभिन्न ब्लॉगरों ने डाले.. ध्यान रखने वाली बात यह है कि भडास पर ज्यादातर लोग कमेंट की बात भी नई पोस्ट की शक्ल में कहते रहे. इसलिए जहां भडास पर पोस्टें अधिक हैं वहीं कमेंट की संख्या कम है.. इसे भडास पर लिखने की खुली छूट भी बडा कारण रही.. इसके बरअक्स मोहल्ले में एक किस्म से कमान अविनाश जी के हाथ में ही रही..विजिटर: लगे हाथ दोनों ब्लॉग के हिट्स भी देखें. अपनी पूरी अवधि में जहां मोहल्ले पर एक मार्च को रात बारह बजे तक 78 हजार पांच सौ 66 लोगों ने दस्तक देकर एक लाख 46 हजार 245 पन्ने खोले. वहीं भडास पर 28 हजार 810 विजिटर ने 45 हजार 470 पन्ने पढे.
कल कुछ और आंकडे पढने को मिलेंगे क्या?
(सभी आंकडे एक मार्च को रात बारह बजे तक)