नौकरी पर नया संकट: नौकरी पर वैश्विक मंदी और छंटनी का साया

सचिन श्रीवास्तव
आप बेरोजगार हैं या अपनी मौजूदा नौकरी से संतुष्ट नहीं हैं और नए जॉब की तलाश कर रहे हैं, तो यह वक्त आपके लिए मुश्किल भरा है। देश में अप्रैल से जून की तिमाही में भारतीय कंपनियों के तकनीकी कमी, वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और उच्चतम कौशल वाले प्रोफेशनल्स की कमी से जूझने वाली हैं। इस कारण से वह नए जॉब्स के प्रति सख्त रुख अपनाएंगी। मैनपावर ग्रुप के रोजगार के हालात पर किए गए ताजा सर्वे में यह तथ्य उभरकर सामने आया है। सर्वे रिपोर्ट बताती है कि 5 से सिर्फ 1 कंपनी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है। वहीं कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जो कटौती करेंगी। वैसे देखा जाए तो यह हालात नए नहीं हैं। पिछली 5 तिमाही से छंटनी भारतीय बाजार में बढ़ रही है। जाहिर है कि कम से कम अगली तिमाही में यह हालात नहीं बदलने वाले हैं।

4389 भारतीय कंपनियों की रिपोर्ट
43 देशों के हालात का भी लिया गया जायजा
19 प्रतिशत कंपनियां बढ़ाएंगी अपने कर्मचारियों की संख्या
01 प्रतिशत कंपनियां करेंगी अगली तिमाही में छंटनी
68 प्रतिशत किसी तरह का बदलाव नहीं करेंगी

जॉब्स पर संकट, लेकिन भरोसा बढ़ रहा
जॉब्स में कमी हो रही है, लेकिन कंपनियों के प्रति भरोसे और कारोबार में बेहतरी के आसार दिख रहे हैं। बीती तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2017 क बीच 21 प्रतिशत ज्यादा भरोसा दिखा, तो वहीं अगली तिमाही में यह बढ़कर 38 प्रतिशत होने के आसार हैं। यही वजह है कि सर्वे में जिन 43 देशों के हालात का जायजा लिया गया है, उनमें से महज तीन जापान, ताईवान और स्लोवेनिया की कंपनियों भारतीयों से अधिक आशावान हैं।

धीमी रफ्तार से बढ़ेगी जॉब्स की मांग
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक और आंतरिक हालात के मद्देनजर जॉब्स मार्केट में धीमी प्रगति होगी, क्योंकि अस्थिरता बरकरार है। इसलिए तकनीकी रूप से सक्षम और उच्चस्तरीय कौशल वाले प्रोफेशनल्स पर ही दांव लगाया जाएगा। यह हालात अगले तीन-चार महीने कायम रहेंगे।

सरकारी नीतियों का पड़ेगा
सरकार की ओर से किए जा रहे स्किल डेवलेपमेंट और अन्य प्रयासों का असर इस तिमाही में सबसे ज्यादा दिखाई देगा। बीते दो साल से किए जा रहे प्रयासों की तस्वीर अब साफ होने लगेगी। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि सरकारी योजनाओं और नीतियों के कारण जॉब्स की मांग बढ़ेगी, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए बेहतर प्रत्याशी की कमी भी होगी।

सभी 7 क्षेत्रों में होगी बढ़ोत्तरी
भारत के सभी सात प्रमुख क्षेत्रों में जॉब्स में बढ़ोतरी की उम्मीद है। सबसे ज्यादा जॉब्स सर्विस सेक्टर में आएंगे। अगली तिमाही के कुल जॉब्स में सर्विस सेक्टर की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत होगी। वहीं लोक प्रशासन और शिक्षा क्षेत्र में 21 प्रतिशत नए जॉब्स निकलेंगे। इतने ही जॉब्स की उम्मीद थोक और खुदरा व्यापार क्षेत्र में जताई गई है।

विभिन्न क्षेत्रों में जॉब्स
22 प्रतिशत-
सर्विस सेक्टर
21 प्रतिशत- लोक प्रशासन एवं शिक्षा
21 प्रतिशत- थोक एवं खुदरा व्यापार
16 प्रतिशत- विनिर्माण क्षेत्र
15 प्रतिशत- वित्त, बीमा और रियल एस्टेट
05 प्रतिशत- परिवहन और उपयोगिता आधारित कारोबार

6 क्षेत्रों में घटेगी रोजगार की संख्या
पिछली तिमाही के मुकाबले सात प्रमुख क्षेत्रों में से 6 में जॉब्स की संख्या घटेगी। महज परिवहन और उपयोगिता आधारित कारोबार में ही रोजगार संख्या पहली तिमाही से ज्यादा रहने के आसार हैं। वित्त, बीमा, रियल एस्टेट, खनन, निर्माण आदि क्षेत्रों में 6 से 7 प्रतिशत तक की कमी का अनुमान जताया गया है।

विनिर्माण क्षेत्र में सबसे बुरा हाल

देश के विनिर्माण क्षेत्र के हालात देखें तो यह एक साल पहले की तुलना में अन्य क्षेत्रों के मुकाबले सबसे खराब स्थिति में है। यहां 27 प्रतिशत तक की गिरावट के संकेत हैं। जबकि खनन और निर्माण क्षेत्र में 24 फीसदी की गिरावट है। परिवहन क्षेत्र भी बीते एक साल में 21 प्रतिशत कमजोर हुआ है। अन्य चारों क्षेत्र में रोजगार के हालात एक साल पहले के मुकाबले बेहतर हुए हैं।

देश का दक्षिणी हिस्सा सबसे बेहतर हाल मेंदेश के अलग-अलग हिस्से की बात करें तो दक्षिण में एक साल पहले की तुलना में रोजगार के अवसरों में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने के आसार हैं। जबकि उत्तर में 18 और पश्चिम क्षेत्र में 15 प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान है। वहीं पूर्वी हिस्से में सबसे कम 12 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना जताई गई है।