एम नाइट श्यामलन: अपनी फिल्मों के खामोश दृश्यों में बोलता फिल्मकार

एम नाइट श्यामलन
सचिन श्रीवास्तव
आम तौर हम भारतीय हॉलीवुड की फिल्मों को स्टार कास्ट की थाह लेकर देखते हैं, लेकिन इधर के दिनों में जिन कुछ डॉयरेक्टर्स ने भी दर्शकों के बीच अपनी रचनात्मक प्रतिभा के जरिये पुख्ता पहचान बनाई है, उनमें एम नाइट श्यामलन का नाम सबसे आगे है। वे हॉलीवुड के चुनिंदा सफल फिल्मकारों में तो शुमार हैं ही, उनकी फिल्मों को आलोचकों ने भी पूरे अंक दिए हैं। मूल रूप से भारतीय श्यामलन का आज जन्मदिन है। वे 6 अगस्त 1970 को पांडिचैरी में जन्में थे। श्यामलन की शुरुआती पढ़ाई लिखाई पेन्सिलवेनिया के फिलडेल्फिया में हुई। इससे हॉलीवुड फिल्मों के गहरे दर्शक बखूबी परिचित होंगे।

बहरहाल, डॉक्टर माता-पिता की संतान श्यामलन सुपरनेचुरल प्लॉट के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनकी निर्देशकीय छाप में कैमरा एंगिल का बड़ा महत्व है। "वाइड अवेक", "द सिक्स्थ सेंस", "अनब्रेकेबल", "साइन्स" और "द विलेज" तक उनकी फिल्मों की एक बड़ी खासियत में फिल्म के बिल्कुल आखिरी क्षणों में बेहद चौंकाऊं अंत शामिल है। इसके अलावा शीशों आदि पर किरदारों के प्रतिबिंबों पर श्यामलन का कैमरा कई बार घूमता है। असल में उनकी फिल्मों के किरदार जहां खामोश हो जाते हैं, वहां श्यामलन अपनी छाप छोड़ते हैं। उनकी फिल्मों के वे दृश्य पूरी तरह से श्यामलन भाषा बोलते हैं, जहां किरदार शांत हैं। यही उनकी खासियत भी है। जिस पर मशहूर निर्देशक अल्फ्रेड हिचकॉक की छाप साफ दिखाई देती है।

सामान्य लोगों की असामान्य खासियतें भी उनकी फिल्म का एक अहम हिस्सा होती हैं। अभी जबकि सुपरहीरोज की फिल्मों को पूरी दुनिया में खूब प्यार मिल रहा है, श्यामलन ने सामान्य किरदारों को आम इंसानों को उनकी असाधारण खूबियों के साथ प्रस्तुत किया है। परदों, चादरों का इस्तेमाल भी श्यामलन ही इस दौर में हॉलीवुड में कर रहे हैं। अनब्रेकेबल में ब्रूस विल्स वाला वह दृश्य याद कीजिए जिसमें परदे मां का चेहरा दिखाते हैं। या फिर साइन्स का आखिरी दृश्य।

और फिर हमारे सुभाष घई साहब की तरह श्यामलन भी अपनी फिल्मों में छोटे से रोल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। हालांकि यह गेस्ट अपीरियंस उनकी ओर से अपने पसंदीदा निर्देशक अल्फ्रेड हिचकॉक की याद का अहम हिस्सा है। श्यामलन की फिल्मों में मुझे पानी की आहट एक मौत या डर की आहट लगती है। साइन और अनब्रेकेबल हो या फिर सिक्स्थ सेंस या द विलैज सभी में पानी इसी रूप में सामने आता है। इसी तरह से कांच का टूटना भी बुरे दृश्य की रिंगटोन है श्यामलन के पास। संभवत: यह उनके भारतीय संस्कारों का फिल्मी रूप है।

वैसे कारें भी श्यामलन की फिल्मों में एक अहम किरदार की तरह हैं। जैसे ट्रैफिक जाम वाला सिक्स्थ सेंस का सीन हो या फिर अनब्रेकेबल का कार एक्सीडेंट जिसमें डेविड अपनी फुटबॉल खेलने की काबलियत खो देता है। या फिर साइन्स का एक्सीडेंट। इसे अलावा श्यामलन की खासियतों में बेसमेंट वाले सीन को शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा भी धार्मिक पृष्ठभूमि, चटख रंग, स्थिर शॉट, कैमरे से किरदारों की दूरी, डेप्थ सीन, संगीत का सधा हुआ इस्तेमाल जैसी खासियतें श्यामलन की अपनी खूबियां हैं। इसके लिए उनकी फिल्में अलग से पहचानी जाती हैं।

आज उनके जन्मदिन पर दुआ है कि वे और बेहतरीन फिल्में बनाएं जो बॉक्स ऑफिस पर भी कामयाबी के झंडे गाड़ें।