फिल्म समीक्षक
रोमांस कम, मस्ती ज्यादा और वह भी अल्हड़पन से लबरेज। 'पार्टनर' में डेविड धवन ने अपने परंपरागत फार्मूले में थोड़ा बदलाव किया है। उनकी इस नयी फिल्म में द्विअर्थी संवाद नहीं हैं। हो सकता है कि उन्होंने अपनी आलोचनाओं का ख्याल रखा हो। फिल्म में हीरो-हीरोइन से अधिक दोनों हीरो की जोड़ी जमती है। जैसे ही सलमान खान और गोविंदा एक साथ पर्दे पर आते हैं तो हंसी के फव्वारे फूटने लगते हैं।
'पार्टनर' विशुद्ध कॉमिक फिल्म है। लव गुरु यानी माडर्न कामदेव प्रेम (सलमान खान) लड़कों को प्यार करने के गुर सिखाता है। वह प्यार के टिप्स देते समय यह ख्याल जरूर रखता है कि कोई सिर्फ अय्य ाशी के लिए उससे लड़की पटाने के गुर न सीखे ले। भास्कर (गोविंदा) उसके लिए चुनौती है, क्योंकि उसे अपनी कंपनी की मालकिन प्रिया (कैटरीना कैफ) से ही प्रेम हो गया है। शुरू में प्रेम उसका तिरस्कार करता है, लेकिन बाद में तंग आकर कुछ टिप्स देता है। भास्कर अपनी मालकिन को प्रभावित कर लेता है। उधर दूसरों को प्यार का प्रशिक्षण देने वाला प्रेम खुद नैना (लारा दत्ता) को पसंद करता है, लेकिन उसे शादी के लिए राजी नहीं कर पाता। आखिरकार दोनों ही सफल होते हैं, लेकिन इस बीच कई नाच-गाने और हंसी-मस्ती के लगातार खूब प्रसंग आते हैं। डेविड धवन ने एक बार कहा था कि कॉमेडी फिल्मों की बंधी-बंधाई स्क्रिप्ट नहीं होती। शूटिंग के लोकेशन, स्टार्स के मूड और सिचुएशन से सीन इम्प्रूव किये जाते हैं। 'पार्टनर' देखते हुए साफ लगता है कि गोविंदा और सलमान खान की निजी भागीदारी से सीन लिखे और बढ़ाए गए हैं। वापसी के बाद तीसरी फिल्म 'पार्टनर' में गोविंदा अपने फुल फार्म में नजर आए हैं। अपनी उपस्थिति मात्र से दर्शकों को आकर्षित करने में माहिर सलमान खान के लिए कई दृश्यों में गोविंदा मुश्किलें खड़ी कर देते हैं। सलमान खान में सहज आकर्षण है तो गोविंदा सहज अभिनय के उदाहरण हैं। नृत्य में अपने थुलथुल शरीर के बावजूद हृष्ट-पुष्ट सलमान खान से कहीं भी नीचे या कमजोर नहीं दिखते गोविंदा। गोविंदा के नृत्य में भी अभिनय की छटा दिखती है। गोविंदा के पहले किशोर कुमार इस हुनर के उस्ताद कहे जा सकते हैं। हीरोइनों में लारा दत्ता निखार पर हैं। वह लगातार दर्शकों के करीब आ रही हैं। इस फिल्म में कैटरीना की जगह और कोई अभिनेत्री रहती तो फिल्म ज्यादा इंटरेस्टिंग बन जाती। चारों मुख्य कलाकारों में कैटरीना कैफ कमजोर कड़ी हैं। कामेडी फिल्मों में अभिनय के साथ संवाद अदायगी का भी कमाल रहता है। अगर आपको भाषा ही नहीं आती हो तो लड़खड़ाना स्वाभाविक है। फिल्म की कहानी से छोटा डॉन (राजपाल यादव) के ट्रैक का कोई संबंध नहीं है, लेकिन वह जब भी आते हैं, अपनी अदाओं से हंसाते हैं। अपने गहन आत्मविश्वास से राजपाल यादव दर्शकों को लुभाते हैं। फिल्म का गीत-संगीत मस्ती और जोश से भरपूर है। हीरोइनों से ज्यादा दोनों हीरो नाच-गाने से दर्शकों का मन बहलाते हैं। वैसे भी सलमान खान और गोविंदा नाच रहे हैं तो किसी और पर नजर नहीं टिकती। शुद्ध मनोरंजन के लिए यह फिल्म देखने जाएं और हर प्रकार के लॉजिक सिनेमाघर के बाहर ही छोड़ दें।
साभार :जागरण.काम