एक अधूरी रिहर्सल के साथ
ऐतिहासिक विदाई से पहले
आवाम के शायर हबीब जालिब की याद में
20 फरवरी 2011 को जनवाणी में प्रकाशित
मां को याद करते हुए
तकते रहें बारिश को, जज्ब हो जाने तक
क्यों लिखें हम सकारात्मक खबरें?
बीते हुए वक्त की कुछ प्रेम कविताएं
इस बार फिर मेरठ, सितारे सफर के देखते हैं...
मुर्दा-शांति में खलल डालती एक कविता