वह एक विवेकपूर्ण नमस्कार था
जिसे मैंने ऑफिस की सीढियां चढते
हुए थोडा थोडा खर्च किया
इसके बदले में कई बार मुझे एक मुस्कुराहट मिली कई बार उठा हुआ सीने तक जाता हाथ
पर मेरे लिए इनका कोई मतलब नहीं था
नमस्कार मेरे पास बहुत से थे
सो उनके खर्च में कंजूसी का कोई बहुत मतलब नहीं था
लांग टर्म बेनिफिट इनका मिलना ही था
ये नमस्कार अभी के अभी नहीं बदल जाते मिल्कियत में
सिगरेट की तरह नहीं होते नमस्कार
कि दोस्त तुम्हारी जेबों से निकाल ले पूरा पैकेट और तुम्हें नाराज करके भी लगाता रहे लंबे लंबे कश
हालांकि यह दीगर बात कि बाद में दोस्त की यह हरकत आपके चेहरे पर हंसी ला देती है
जिसे आप यादों से निकले एक खूबसूरत दृश्य की हंसी का नाम दे सकते हैं
खैर यह किस्सा कुछ और है
और मार्के की बात यह कि अभी नमस्कारों ने फिर अपने रंग बदलना शुरू कर दिए हैं
जिन्हें कभी हम नमस्कार करते थे वे अब खुद पहले हाथ मिलाने के लिए आगे आने लगे हैं
जो महज चश्में के ऊपर से झांकते थे वे मुंडी हिलाने लगे हैं
और जो अपनी कुर्सी से खडे हो जाते थे
अब झुकने लगे हैं
यह वही दौर है
जब दुश्मन को सीधे सीधे हुंकारा भरकर नहीं ललकारा जाता
अब जड से उखाडने के लिए नींव टटोली जा रही है
भला इसके लिए झुकना तो पडेगा ही