भाषाई साम्राज्‍यवाद!!

तब तो भाषाई कट्टरता की बात भी हो सकती है. पूरे ब्लोग में बमुश्किल १० प्रतिशत भी अन्ग्रेज़ी नहीं है और आप बात भाषाई साम्राज्यवाद तक ले गए. प्रतिक्रियावाद के लक्षण दिख रहे हैं. अविनाश भाई यह सीधी सीधी सुविधाभोगी प्रवृत्ति ही है, जो काहिली और जल्दबाजी के मेल से उपजती है. क्यों नहीं मानते कि हिंदी में लिखना अभी भी बहुत जल्दी का काम नहीं है. जहाँ तक अन्ग्रेज़ी में ब्लोग शुरू करने की बात है तो यूं भी मैं हिंदी में ज्यादा सहज महसूस करता हूँ. वैसे सुझाव के लिए धन्यवाद.
संदर्भ : अजय के लिखे पर अविनाश जी की टिप्पणी