चुप्पी


चुप्पी की भी होती है आवाज़

शांत और सघन

देती है सुनाई बेहद धीमी

कानों के भीतर उतरती है हौले-हौले

भेदती है रहस्यों को

अपनी ही तरह से

सुनो ! कि सुनाई दे रही है चुप्पी