तकरीबन आखिरी











तनी हुई मुट्ठियों से निकल रही थी आंच
सत्ता के माथे पर छलकने का लगा था पसीना
गर्म हो रही थी हौसले की भट्टी

वे आए
अखबार लेकर
पहले हवा की ठंडक पहुंचाई
फिर पोंछने लगे सत्ता के पसीने को
खबरों की स्याही से

बस एक बात थी जो भरोसा देती थी
ऐसा करने वाले
संख्या में बहुत थोडे थे