कहानी नंबर एक
यह कहानी उन दिनों की है जब सूरज दिन में निकलता था, पूर्व दिशा से निकलता था और पश्चिम की तरफ डूबता था । उन्हीं दिनों लोग दिन के समय जागते थे और ज़्यादातर जागते समय रोजी रोटी कमाने के लिए कुछ भी मतलब जो मिल जाये वो काम करते थे । हालांकि कुछ लोग सिर्फ मौज मस्ती के लिए भी काम करते थे लेकिन एक तो उनकी संख्या कम थी दूसरे उनके बारे में हमारी कहानी नहीं है इसलिये उनका जिक्र मुल्तवी रखते है । तो बात करते हैं कहानी के उन लोगों की जो हमारे मतलब के हैं । इनमें एक की उमर सात साल की है वह एक लिमिटेड कम्पनी में सीईओ है । (अब यार मों मत बनाओ कहानी हम बता रहे है के तुम) तो उमर सात साल । नाम सैंडी . सैंडी के एक माँ, एक बाप, एक बहन, एक दादा और एक दादी थे । सैंडी की कम्पनी का नाम था ट्रूबेला ।