ये जो यशवंत हैं ना बहुत अगड्म बगड्म लिख बोल रहे हैं आजकल । एक तो दिल्ली की गर्मी ने इनकी फाड़ रखी है दूसरे वो कहावत सुनी है ना कि नया मुल्ला प्याज़ ज्यादा खाता है । ब्लोग पर नए नए आये हैं तो ज्यादा ही गर्रा रहे हैं । पता नहीं है कि यहाँ जितना स्वागत होता है उतना ही ज़ूतामपैज़ार भी होता है । वैसे कुछ भी कहो आदमी खरा है । सच्ची बात किसी के भी थोबडे पर कह डालता है पट्ठा । कल्ले में दम है । अगर पत्रकार ना होता तो तय मानो गुरू सारंडा के जंगलों में क्रांति के लिए पिल्पिला रहा होता । वैसे जानने वाले जरूर कहेंगे की अपने सीनियर और गुरू के बारे में ऐसा लिखते हो ? तो भैया जब गुरू खुद ही दे दारी की दे मचाये हो तो हम का करें । रियाज़ तमंचा जी जो दिल में आये सो पेल मारो । इन राजधानी वालों के दिमाग में गर्मी घुस गई है आओ इसे ठण्डा कर दें । सालों से पत्रकारिता में तो कुछ होता नहीं बस्स येई सब करेंगे अब तो । चलो बाकी पोल पत्ती बाद में बताऊंगा
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