मां

हर मां एक जैसे होती है
भीतर से
और बेटे- बाहर से
इन दिनों 10 साल बाद फिर मां के साथ रह रहा हूं। पिछले महीने आईं थी, तब से उनका जी नहीं किया जाने का. मां का मन कभी कभी गांव की तरफ भागता है वहां के रिश्ते नाते उन्हें बुलाते होंगे, लेकिन दिल बेटे(मुझ)को छोडकर नहीं जा पाता. रात 1-2 बजे खाने पर इंतजार करती हैं और आंखें कमजोर होने के बावजूद आवाज से देख लेतीं हैं कि मैं कितना खा रहा हूं और कितना छोड रहा हूं. जब मां को छोडकर (1997 में) सफर पे निकला था तो सोचा था कि मैं कभी मुड न सकूंगा... अब सोचता हूं हर आदमी क्यों घर छोडते समय पीछे मुडकर देखता है...
सचिन