उसकी डायरी में एक के ऊपर लिखे दूसरे शब्द के बारे में उसका कहना है कि यह एक कला है जिसे वह पूरी नहीं सीख पाया. होता यह है कि अपने किसी प्रिय, अजीज का नाम आप कागज पर लिखें और फिर दूसरे उसी की तरह अजीज का नाम उसके ऊपर लिख दें तो इस तरह वे दोनों एक साथ हो जाते हैं. फिर जितने प्रिय हैं उनके नाम एक के ऊपर एक लिखते रहें. इस तरह जरा सी जगह में वे सब आ जाते हैं जिन्हें आप चाहते हैं. कुछ देर उन्हें गौर से देखेंगे तो सब के सब हरे रंग के हो जाएंगे और एक एक कर वे नाम ऊपर नीचे होने लगेंगे. साथ ही उन सब में का जो समुच्यय होगा वह अपनी तरह से एक नाम दिखाएगा. जो उन सभी के बीच आपको सबसे ज्यादा प्रिय होगा. मुझे लगा यह कोई खेल है लेकिन उसने मुझे डांटने के से अंदाज में कहा कि इसके लिए हमें पूरी साफगोई बरतनी पडती है कि सिर्फ वे ही नाम लिखें जिन्हें हम सचमुच प्यार करते हैं. उन्हीं दोस्तों, प्रेमी, प्रेमिकाओं, पडोसियों... यहां तक कि घरवालों के नाम लिखते हुए भी अगर कहीं भी जरा सा कोना खिलाफ का है तो वह नाम ड्राप कर दें.
वह बताता है कि शुरुआत में वह बहुत बहुत नामों को लिख देता था इस कला में. लेकिन बाद में उसे अहसास हुआ कि इस तरह वह उन लोगों को सता रहा है जिन्हें असल में वह प्यार ही नहीं करता और फिर उसने नाम लिखे तो दो और तीन से ऊपर नहीं जा सका.
फिलवक्त अलविदा....